पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया के नौवें वार्षिक फोरम में कांत ने भारत को नवीकरणीय और हरित ऊर्जा में निर्यातक बनाने पर अपनी दूरदृष्टि प्रस्तुत की। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत का कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है, जिससे इसके लिए हरित ऊर्जा का मेगा-उत्पादक बनने का मार्ग खुल गया है। श्रीकांत ने कहा कि अगर कंपनियां जलवायु कार्रवाई करना जारी रखती हैं तो यह राष्ट्र के विकास को गति देने के लिए और अधिक पूंजी आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा कि भारत के लिए जलवायु कार्रवाई एक चुनौती नहीं बल्कि अवसर है।
कांत ने कहा,’ इसके दो कारण है- पहला, हम जलवायु और उद्यमशील पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में संपन्न हैं और दूसरा भारत केवल हरित हाइड्रोजन के साथ कार्बनीकरण के बिना औद्योगीकृत होने वाला पहला देश बन जाएगा।’ जी-20 में भारत के एजेंडे पर उन्होंने कहा कि भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता उस वक्त आयी है जब दुनिया में बड़ी चुनौतियां हैं जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान संघर्ष, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, व्यापार का धीमा होना, ऊंचा वैश्विक कर्ज, मुद्रास्फीति दबाव इत्यादि। कांत ने कहा कि भारत केंद्रीय स्तर पर विकास लाएगा और पिछले पांच वर्षों में सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने भारत को आने वाले कई दशकों तक विकास पथ पर रखा है। उन्होंने प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के अध्यन का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि अर्थव्यवस्था के हिसाब से भारत दूसरा सबसे बड़ा देश होगा। डिजिटलाइजेशन पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में भारत का रियल-टाइम लेने देन बढ़कर 48.6 अरब रहा जो चीन से लगभग तीन गुना है और विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी समेत तकरीबन सात गुना है।