नई दिल्ली, (मानवी मीडिया) यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर तीन लाख अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के व्लादिमीर पुतिन के फैसले के बाद रूस में बवाल मच गया है। रूसी नागरिक पुतिन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक फैसले का विरोध कर रहे सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यही नहीं रायटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस फैसले के बाद कुछ रूसी नागरिकों ने सीमाओं की ओर प्रस्थान करना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं पुतिन के फैसले का क्या हो रहा असर...
यह जोखिम भरा कदम
रायटर का कहना है कि यूक्रेन से जारी युद्ध के मैदान में विफलताओं की एक कड़ी के बाद बड़े पैमाने पर सैनिकों की भर्ती का रूसी राष्ट्रपति पुतिन का आदेश उनकी हुकूमत के लिए दशकों का सबसे जोखिम भरा कदम हो सकता है। एक निगरानी समूह की ओर से बताया गया है कि पुतिन के इस फैसले का 38 रूसी शहरों में बुधवार को विरोध हुआ। इन विरोध प्रदर्शनों में लगभग 1,300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
रूस छोड़ना चाह रहे नागरिक
रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ नागरिक रूस छोड़ने की फिराक में हैं। आलम यह है कि मॉस्को से हवाई टिकटों की कीमतें में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है। निकटतम मुल्कों में जाने के लिए एकतरफा उड़ानों का किराया 5,000 अमेरिकी डालर से ज्यादा हो गया है। अधिकांश टिकट पहले ही बुक हो चुके हैं। पड़ोसी मुल्कों में जाने के लिए अफरातफरी मची है। फिनलैंड और जॉर्जिया के साथ लगी सीमाओं की क्रॉसिंग पर यातायात बढ़ गया है।
कहीं यह पुतिन की कमजोरी तो नहीं...
वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि पुतिन के ताजा फैसले रूसी की कमजोरी को दर्शाते हैं। राष्ट्रीय विश्वविद्यालय ओडेसा लॉ अकादमी के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर तात्याना माल्यारेंक और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रोफेसर स्टीफन वोल्फ ने कहा कि परमाणु चेतावनी और बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती का आदेश रूस की कमजोरी प्रकट करते हैं।