मुख्यमंत्री ने पी0जी0 कॉलेज प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा गाजीपुर जनपद में शिक्षा की अलख जगाने वाले बाबू राजेश्वर प्रसाद सिंह ने वर्ष 1957 में गाजीपुर डिग्री कॉलेज की स्थापना की। यह आज पी0जी0 कॉलेज के रूप मे लगभग 10,000 छात्र-छात्राओं की उत्तम शिक्षा के केन्द्र के रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जनपद के लिए शिक्षा का एक स्तम्भ बना हुआ है। उन्होंने कहा कि बाबू राजेश्वर सिंह शिक्षा के प्रति अत्यन्त जागरूक एवं चैतन्य रहे एवं शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने अभिनव प्रयास किया, यही उनका विरासत के प्रति सच्चा सम्मान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद गाजीपुर भारत और आर्यावर्त से राक्षसों का समूल नाश करने का संकल्प लेने वाला एवं महर्षि विश्वामित्र की परम्परा का जनपद है। जनपद गाजीपुर महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली है। आर्यावर्त की 02 शक्तियों-अयोध्या और जनकपुर का एकीकरण करने में महर्षि विश्वामित्र ने अहम भूमिका निभायी थी। यह भारत का इतिहास बनाने वाला जनपद है। जिस रामराज्य की स्थापना का शंखनाद पूज्य ऋषि-मुनियों ने किया था, यह जनपद उसी परम्परा से जुड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी विरासत के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करने के दृष्टिगत जनपद गाजीपुर में नवनिर्मित मेडिकल कॉलेज का नाम महर्षि विश्वामित्र के नाम रखा गया है। पड़ोसी जनपद आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव के नाम पर विश्वविद्यालय का नामकरण किया गया है। विरासत के प्रति सम्मान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के पंचप्रणों के मंत्र का एक हिस्सा है। सनातन धर्म की परिभाषा ‘कृते च प्रतिकर्तव्यम् एषः धर्म च सनातनः’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत का निर्माण करने के लिए पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सभी का कर्तव्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया जब कोरोना महामारी से त्रस्त थी, तब प्रधानमंत्री जी ने देश के सामने जीवन व जीविका को बचाने के साथ-साथ नौजवानों के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की। यह महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अभिनव प्रयोग का केन्द्र बन सकता है। भारत दुनिया में सबसे युवा राष्ट्र और उत्तर प्रदेश भारत में सबसे युवा राज्य है। युवा अपनी प्रतिभा एवं ऊर्जा से पूरे देश एवं दुनिया को आलोकित करने की क्षमता रखता है। युवाओं के भविष्य को दिशा देने के लिए कार्य किए जा रहे हैं, जिसके अन्तर्गत नए विश्वविद्यालय, तकनीकी संस्थानों आदि की स्थापना की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के माध्यम से युवाओं को उनके जनपद में ही प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग की सुविधा दी जा रही है, ताकि उन्हंे कहीं अन्यत्र न जाना पड़े। स्वामी विवेकानन्द तकनीकी सक्षम योजना के माध्यम से प्रदेश में लगभग 15 लाख नौजवानों को टैबलेट एवं स्मार्ट फोन उपलब्ध कराया गया है। अगले पांच वर्षाें में 02 करोड़ युवाओं को टैबलेट व स्मार्टफोन देकर उन्हें तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने का कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 05 वर्षों में प्रदेश सरकार ने 05 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की है। 01 करोड़ 61 लाख युवाओं को विभिन्न रोजगारपरक कार्यक्रमों से सम्बद्ध किया है। 60 लाख युवाओं को स्वतः रोजगार से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार अब एक बड़ी कार्ययोजना लेकर कार्य कर रही है। इसमें अगले पांच वर्षों में हर परिवार के एक सदस्य को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे आधुनिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के साथ ही व्यावहारिक शिक्षा पर भी जोर दें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ‘कर्मयोगी राजेश्वर बाबू-स्मृतियों के वातायन से‘ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने महाविद्यालय परिसर में रूद्राक्ष का पौधरोपण किया। मुख्यमंत्री जी ने स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना के अन्तर्गत युवाओं को टैबलेट, उज्ज्वला योजना के अर्न्तगत चिहिन्त लाभार्थियों को गैस चूल्हा, पाइप, गैस सिलेण्डर, एक जनपद एक उत्पाद योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न लाभार्थियों को प्रतीकात्मक चेक, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लाभार्थियों को टूलकिट, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के लाभार्थियों को निःशुल्क सहायक उपकरण आदि का वितरण किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत 571 स्वयं सहायता समूहों को प्रतीकात्मक चेक भी प्रदान किया।
इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।