(मानवी मीडिया) अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने गुजरात के बिलकिस बानो गैंग रेप मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। इसके साथ-साथ आयोग ने दोषियों की समय पूर्व रिहाई को अनुचित करार दिया है। दरअसल, गुजरात सरकार ने इसी महीने 11 आरोपियों को रिहा कर दिया। सरकार ने रिहाई को अपनी क्षमा नीति का हिस्सा बताया है।
आयोग के उपाध्यक्ष अब्राहम कूपर ने एक बयान में कह कि यूएससीआईआरएफ 2002 के गुजरात दंगों के दौरान एक गर्भवती मुस्लिम महिला से बलात्कार और मुस्लिम पीड़ितों के खिलाफ हत्या करने के लिए उम्रकैद की सजा पाने वाले 11 लोगों की जल्द और अनुचित रिहाई की कड़ी निंदा करता है। दोषियों की जल्दी रिहाई को 'न्याय का उपहास' बताते हुए आयोग के कमिश्नर स्टीफन श्नेक ने कहा कि यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों के लिए दंड से मुक्ति के पैटर्न का हिस्सा है।
2004 में गिरफ्तार हुए थे आरोपी
बता दें कि तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्किस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिल्किस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।
किसी ने मेरी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा
बिलकिस बानो ने बुधवार को कहा कि उनके और उनके परिवार के सात लोगों से जुड़े मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई ने न्याय पर उनके भरोसे को तोड़ दिया है। उन्होंन कहा, इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और नाही उनके भले के बारे में सोचा। उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें बिना डर के शांति से जीने का अधिकार देने को कहा।
'अतीत मेरे सामने मुंह बाए खड़ा हो गया'
बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, 'दो दिन पहले 15 अगस्त, 2022 को जब मैंने सुना कि मेरे परिवार और मेरी जिन्दगी बर्बाद करने वाले, मुझसे मेरी तीन साल की बेटी को छीनने वाले 11 दोषियों को आजाद कर दिया गया है तो 20 साल पुराना भयावह अतीत मेरे सामने मुंह बाए खड़ा हो गया।'