डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि हर किसी को यह जानना बेहद जरूरी है कि कोरोना अभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है बल्कि कमजोर हुआ है। ऐसे में कोरोना को लेकर लापरवाही बरतना खुद के साथ घर-परिवार और समाज को संकट में डालने वाला साबित हो सकता है। इसलिए पिछले दो-ढाई साल से जिस अनुशासन का पालन कर समय-समय पर कोरोना को पीछे धकेलने का काम समुदाय के हर किसी ने किया है, उसी अनुशासन का कड़ाई से पालन करने का वक्त एक बार फिर से आ गया है। यह अनुशासन है- एक दूसरे से उचित शारीरिक दूरी बनाकर रखना, भीडभाड़ में जाने से बचना, घर से बाहर निकलने पर नाक व मुंह को मास्क से अच्छी तरह ढकना और हाथों के साथ शारीरिक साफ-सफाई का ख्याल रखना। इसके अलावा अगर किसी अन्य ने कोरोना को सही मायने में मात देने में कारगर साबित हुआ है तो वह है टीकाकरण। इसलिए कोविड टीके की पहली और दूसरी डोज लेने में हर किसी ने जैसी तत्परता दिखाई थी, वैसी ही तत्परता अब एहतियाती डोज को लेकर भी दिखाने का समय आ गया है। इसी गंभीरता को देखते हुए सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 दिनों के लिए 18 से 59 साल वालों के लिए कोविड टीके की एहतियाती डोज को बिल्कुल मुफ्त कर दिया है। 60 साल से ऊपर वालों को यह डोज पहले से ही फ्री दी जा रही थी। इसलिए बिना समय गंवाए जिनको दूसरी डोज लिए हुआ छह माह बीत चुके हैं वह एहतियाती डोज जरूर लगवाएं। यह डोज कोरोना से सुरक्षा प्रदान करने में पूरा साथ निभाएगी।
डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि कोरोना के साथ ही इस समय मौसमी बीमारियों फ्लू (वायरल) सर्दी, जुकाम व बुखार, डेंगू, चिकनगुनिया, कॉलरा, निमोनिया, टाइफाइड से भी खास सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए घर व आस-पास साफ़-सफाई का विशेष ख्याल रखें, जलजमाव न होने दें ताकि मच्छर न पनपने पाएँ। मच्छरों को पनपने से रोककर इनमें से कई बीमारियों से समुदाय को सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके अलावा घर का बना ताजा और पौष्टिक भोजन का ही सेवन करें, हरी साग-सब्जी और मौसमी फल का सेवन करें। स्ट्रीट फ़ूड से दूरी बनाकर संक्रमण से बचें। इस समय फ्लू, कोरोना, मंकीपॉक्स, निमोनिया और टीबी के मिलते-जुलते लक्षणों के चक्कर में इलाज में देरी करना भारी पड़ सकता है। इसलिए जब भी ऐसे मिलते-जुलते लक्षण नजर आयें तो बिना घबराये स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक से सम्पर्क करें, जहाँ जाँच और इलाज की सुविधा मुफ्त है। साधारण जुकाम-बुखार-सर्दी समझकर अपने मन से कोई इलाज कतई न करें, यह जोखिम में डालने वाला कदम साबित हो सकता है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में बीमारियों से आजादी पाने के लिए इन सभी जरूरी कर्तव्य को निभाकर हर कोई इसमें बड़ा योगदान दे सकता है।