डॉ. पुरी ने बताया कि इस प्रोग्राम के माध्यम से यह सुनिश्चित कराया जाएगा कि कैंसर के मरीजों को सही समय पर पहचान, उपचार और रिफ़र की सुविधा उपलब्ध हो। सही जानकारी के अभाव में वह अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद करने से बचे। डॉ. पुरी के अनुसार इस प्रोग्राम के द्वारा जिला अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा और कैंसर के प्रति उनका एक ऐसा नेटवर्क बनाया जाएगा, जिसके माध्यम से कैंसर के मरीजों को सही समय पर जांच एवं उपचार में मदद मिल सके। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अभी लखनऊ, उन्नाव और अयोध्या की सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
मेडिकल हेल्थ की डायरेक्टर जनरल डॉ. लिली सिंह ने बताया कि ग्रामीण परिपेक्ष्य में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर पाया जाता है, क्योंकि वहाँ तंबाकू का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है। उन्होंने बताया कि कैंसर आज के समय की बहुत घातक बीमारी है। इससे बचाव के लिए इसका समय पर पहचान कर उसका इलाज शुरू करना बहुत जरूरी है। कैंसर की पहचान और इलाज में देरी अक्सर मरीज की मौत का कारण बन जाती है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कैंसर से बचा नहीं जा सकता। जरूरी है कि सिस्टम में ऐसे चिकित्सीय लोगों को प्रशिक्षित किया जाए जो कैंसर की समय से पहचान और इलाज के लिए सहायक साबित हों।
एनपीसीडीएस प्रोग्राम की अपर निदेशक डॉ. अलका ने बताया कि जमीनी स्तर पर मेडिकल ऑफिसर ही अग्रिम पंक्ति के सिपाही होते हैं, जो मरीजों की जांच, उपचार और देखभाल के लिए तत्पर रहते हैं। इनका सहयोग ही कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में मदद पहुंचाएगा।
एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल जो आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में तकनीकी मदद कर रहा है, इसकी डायरेक्टर मनीषा ने बताया कि इस प्रयास से आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को भी बहुत लाभ होगा। जैसा कि सबको पता है कि कैंसर का इलाज एक लंबी और बहुत पैसा खर्च होने वाली प्रक्रिया है। ऐसे में जो गरीब हैं उनको सही समय पर सही मदद मिल सके इसके लिए यह प्रयास बहुत सहायक है। आयुष्मान कार्ड धारक मरीज को भी समय रहते ऐसे संस्थानों के बारें में पता चल सकेगा और उन्हे वहाँ रिफ़र किया जा सके, जहां उनका निशुल्क उपचार हो सके।
रेडिएशन ऑनकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एम एल बी भट्ट ने बताया कि केजीएमयू में चल रहा कैंसर सहायता केंद्र को और मजबूत किया जा रहा है। अब इस केंद्र से प्रशिक्षित सभी चिकित्सा अधिकारियों को जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही सोमवार से लेकर शुक्रवार तक हर रोज दोपहर 12 बजे से एक बजे तक कोई कैंसर एक्सपर्ट वीडियो के माध्यम से जिलों के चिकित्सा अधिकारियों से जुड़ेगा। जिससे कि यदि उनके पास कोई कैंसर का मरीज हो तो उसको टेली कन्सल्टेशन से मदद की जा सके।
इस अवसर पर सर्जिकल ऑनकोलॉजी के डॉ. अरुण चतुर्वेदी, रेडिएशन ऑनकोलॉजी विभाग की डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव, केजीएमयू के डीन डॉ. ए के त्रिपाठी, डॉ. सुमाइरा कयूम, डॉ. पुनीत, डॉ. शिवराजन आदि लोग मौजूद रहे।