गन्ना शोध परिषद की समीक्षा बैठक के दौरान गन्ना खेती में रसायनों के प्रयोग को कम करने एवं पर्यावरण सुरक्षित खेती को बढावा देने के दृष्टिगत जैव उत्पादांे के अधिकाधिक प्रयोग पर बल देते हुये अपर मुख्य सचिव ने वैज्ञानिकों से कहा कि पाउडर फार्म के साथ-साथ तरल जैव उत्पादों का भी उत्पादन शुरु किया जाये, जिससे कृषकों को इसके प्रयोग में सुगमता हो। उन्होंनें लाल सड़न रोग के प्रबन्धन हेतु ट्राइकोडर्मा जैव उत्पाद एवं बेधक कीटों के नियंत्रण हेतु ट्राइकोकार्ड के उत्पादन को बढाने के निर्देश भी दिये।
मृदा परीक्षण एवं स्वास्थ कार्ड वितरण की समीक्षा में अपर मुख्य सचिव ने पाया कि परिषद के सेवरही एवं मुजफ्फरनगर केन्द्र पर मृदा परीक्षण की प्रगति बहुत धीमी है जिस पर रोष प्रकट करते हुये प्रभारी अधिकारी सेवरही एवं मुजफ्फरनगर को निर्देश दिया कि प्रयोगशाला की क्षमता बढ़ाकर अधिक से अधिक कृषकों का मृदा परीक्षण कर मृदा स्वास्थ कार्ड वितरित किया जाये। श्री भूसरेड्डी ने मृदा वैज्ञानिकों को निर्देश दिया कि कृषि विभाग से समन्वय स्थापित कर सभी गन्ना उत्पादक जिलों का मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करें, जिससे जनपदवार उर्वरकों की संतुति के अनुसार किसान गन्ने में संतुलित रुप में उर्वरकों का प्रयोग करें।
गन्ने के बेधक कीटों के नियन्त्रण हेतु श्री भूसरेड्डी ने ट्राइकोकार्ड के उत्पादन पर विशेष बल देते हुये परिषद के सभी केन्द्रों पर इसके उत्पादन की संभावनाओं पर विस्तृत रूप रेखा तैयार करने को कहा तथा शोध संस्थान द्वारा अधिक से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों को भी ट्राइकोकार्ड के उत्पादन का प्रशिक्षण दिये जाने के निर्देश दिये। जैविक गुड़ उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन पर विशेष जोर देते हुए श्री भूसरेड्डी ने कहा कि इस सम्बन्ध में कृषकों को प्रशिक्षण दिया जाय जिससे कृषक प्रशिक्षित होकर उद्यमिता विकसित कर सकें।
समीक्षा बैठक में विशेष सचिव, उ.प्र. शासन डा. रूपेश कुमार, निदेशक उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर, वी.के. शुक्ल एवं समस्त शोध केन्द्रों के प्रभारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।