इनमें उत्तर प्रदेश केे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, शहीद भगत सिंह के भांजे जगमोहन सिंह आदि शामिल हैं। आजादी के अमृत महोत्सव पर शहीद मंदिर का महात्म्य देशवासियों के लिए और भी अधिक बढ़ जाता है। यह मंदिर यहां के स्थानीस क्रांतिकारियों की याद में बनाया गया है। बेबर निवासी जमुना प्रसाद त्रिपाठी, कृष्ण कुमार और सीताराम गुप्ता ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था। एक जुलुस निकालते समय पुलिस की गोली से जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्ता और कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। इस गोलीबारी में कई क्रांतिक्रारी घायल भी हुए थे।
इस जुलूस में जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नरायण त्रिपाठी भी शामिल थे। किशोर जगदीश गोली लगने से घायल हो गए थे। जगदीश ने ही आजादी मिलने के बाद शहीदों की याद में यह शहीद मंदिर बनवाने की पहल की थी। 1971 में बनकर तैयार हुए शहीद मंदिर में तीनों शहीदों के साथ ही पंडित गेंदालाल दीक्षित, कुंवर देवेश्वर तिवारी, जगदीश नारायण त्रिपाठी, गया प्रसाद भारद्वाज, कॉमरेड शिववरन लालस्वामी, सर्वानंद सरस्वती, श्यामसुंदर लाल गुप्ता और बाबूराम झा सहित 26 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की प्रतिमाएं लगाई गईं हैं। ये प्रतिमाएं आजादी के परवानों की वीर गाथाएं बयां कर रही हैं। हर वर्ष जनवरी माह में यहां शहीद मेले का भी आयोजन होता है।