धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि आगरा जेल में एक महिला कैदी ने गाय के गोबर से लकड़ी बनाया है जिसका इस्तेमाल अन्त्येष्ठि क्रिया में की जा रही है। इसके अलावा गोबर से पॉट भी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कैदियों ने जलकुम्भी के इस्तेमाल से विभिन्न उपयोगी उत्पाद बनाये हैं, जिसको बेहतर मार्केट मिल जाय तो उनको बढ़िया स्वरोजगार मिल जायेगा। उन्होंने बताया कि कौशल विकास योजना के द्वारा कैदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है। इसी प्रकार पीलीभीत के जिलाधिकारी ने उन्नयन योजना से भी कैदियों को जोड़ा है।
प्रजापति ने प्रेस प्रतिनिधियों से बताया कि कार्यभार ग्रहण करने के बाद से प्रदेश की लगभग 32 जेलों का दौरा कर बंदियों से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि दौरे के दौरान जानकारी मिली कि बहुत से ऐसे बंदी हैं जो छोटे-2 अपराधों में बंद है, जिनकी आयु बहुत कम है तथा जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनकी प्रभावी ढंग से पैरवी नहीं हो पा रही है। जनप्रतिनिधियों, जिलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान से वार्ता कर आग्रह किया कि ऐसा प्रयास किया जाय जिससे कि कानून को दृष्टिगत रखते हुए इनका सुलह समझौता कराया जाय। जिससे कि कम आयु वाले बाहर आकर घर-परिवार की जिम्मेदारी निभा सके।
प्रजापति ने बताया कि कैदियों से संवाद के दौरान अनुभव हुआ कि उनमें अपने किये अपराधों को लेकर पछतावा है। अतः मेरा मानना है कि उनको सुधरने हेतु मानवीय दृष्टिकोण के तहत एक अवसर अवश्य मिलना चाहिए। ताकि वे समाज की मुख्यधारा से अपने को जोड़ सकें।