*2016 में चकबंदी में गई थी जमीन
बामनौली निवासी महेशपाल के अनुसार उसके पिता रामपाल को 1976 में सरकार से पांच बीघा जमीन का पट्टा मिला था, जिसमें उसका परिवार खेती करता है। उसके बाद 1983 में प्रधान ने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए तीन बीघा जमीन का एक और पट्टा रामपाल को दे दिया था। महेश के पिता की वर्ष 2008 में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। जिसके बाद गांव में वर्ष 2016 में चकबंदी की गई।
*पांच बार मुख्यमंत्री से मिलने भी गये, लेकिन नहीं हुआ समाधान
महेशपाल का आरोप है कि उनकी पूरी जमीन चकबंदी में लाकर उस पर किसी अन्य का कब्जा करा दिया गया और उनके पास केवल डेढ़ बीघा जमीन बाकी रही। उसके बाद से वह जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है और पांच बार लखनऊ तक सीएम से मिलने भी गया। जहां से उनको केवल आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया। महेशपाल ने एक सप्ताह पहले ही सीएम के नाम एक शिकायत एसडीएम बड़ौत को सौंपी थी और जमीन वापस नहीं दिलाने पर परिवार के साथ इच्छा मृत्यु मांगी थी।
इन अधिकारियों पर लगाया आरोप
महेशपाल ने मंगलवार सुबह को एक वीडियो बनाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों, चकबंदी विभाग के अधिकारियों व एक जनप्रतिनिधि पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसे वायरल कर दिया और उसके बाद जहरीला पदार्थ खा लिया। उसकी हालत बिगड़ने पर परिजनों ने बड़ौत सीएचसी भर्ती कराया, वहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां उसका उपचार चल रहा है।
*एसडीएम पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया
जहरीला पदार्थ खाने वाले महेशपाल ने वीडियो में एसडीएम पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया है। उसने चकबंदी विभाग के अधिकारियों पर भी सुनवाई नहीं करने का आरोप लगाया। वीडियो में कहा है कि अगर उसकी मौत होती है तो उसके लिए ये सभी अधिकारी और जनप्रतिनिधि जिम्मेदार होंगे।