बता दें कि दरों में बढ़ोतरी तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है। रेपो दर वो दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को छोटी अवधि का कर्ज देता है। रेपो दरें बढ़ने से साफ है कि बैकों के द्वारा पैसे उठाने की लागत भी बढ़ जाएगी और वो इसे आगे अपने ग्राहकों को पास कर देंगे। यानि जल्द ही आपके लोन की ईएमआई बढ़ने वाली है। आप तौर पर बैंक ये खुद फैसला लेते हैं कि वो इस बढ़ोतरी को कैसे आगे बढ़ाएंगे लेकिन संभावना है कि एक से ज्यादा बढ़ोतरी के साथ कुछ समय में रेपो दरों में इस बढ़ोतरी का असर ग्राहकों तक पहुंच जाएगा। चलिए हम आपको बताते हैं कि अगर आपकी कर्ज दरें आधा प्रतिशत बढ़ती हैं तो आपकी ईएमआई कितनी बढ़ जाएगी।
20 साल के लिए 30 लाख रुपये के होम लोन पर ग्राहकों की EMI 1680 रुपये बढ़ जाएगी। एचडीएफसी के द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार इस लोन पर 7.55 प्रतिशत की दर पर ईएमआई 24260 रुपये होगी जिसमें 28 लाख रुपये का ब्याज है। अगर कोई शख्स दरों में आधा प्रतिशत की बढ़त के बाद लोन उठाता है तो उसे इसी लोन पर उसे 25940 की ईएमआई देनी होगी और उसका लोन का हिस्सा बढ़कर 32 लाख पर पहुंच जाएगा। यानि नई दरों पर ईएमआई 1680 रुपये प्रति माह बढ़ेगा और 20 साल में नई ग्राहक को 4 लाख रुपये का अतिरिक्त ब्याज देना होगा।
मौजूदा ग्राहकों पर नई दरों का असर इस बात से पड़ेगा कि उन्होने कौन सा इंट्रेस्ट रेट चुना है। दरअसल लोन दो तरह के इंट्रेस्ट रेट पर जारी होंते हैं। एक फिक्स्ड रेट लोन होते हैं यानि आगे कोई भी उतार-चढ़ाव हो दरों में बदलाव नहीं होता। वहीं दूसरे वेरिएबल रेट्स होते हैं जो प्रमुख दरों में बदलाव के साथ बदल जाते हैं। आप तौर पर जब ब्याज दरें निचले स्तरों पर होती हैं और लोन लंबी अवधि के होते हैं तो ग्राहकों को फिक्स्ड रेट पर लोन की सलाह दी जाती है वहीं लोन अगर बेहद ऊंची दरों पर उठाया गया है तो वेरिएबल रेट्स की सलाह दी जाती है, आज कल लोग फिक्स्ड रेट पर लोन उठाने के प्राथमिकता देते हैं। अगर आपकी ब्याज दरें फिक्स्ड हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं, हालांकि आपने वेरिएबल रेट पर लोन उठाया है तो आपको रीव्यू की जरूरत है क्योंकि रिजर्व बैंक ने संकेत दिए हैं कि आगे भी दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।