ज्ञात हो कि अभी हाल ही में डा. सूर्यकांत को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जोनल टास्क फोर्स (नॉर्थ जोन) के चेयरमैन के रूप में चुना गया है तथा वह एम्स पटना की गवर्निंग बॉडी के सदस्य भी हैं। डा. सूर्यकांत केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में 17 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 10 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा वह चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 19 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 700 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके साथ ही दो अंतरराष्ट्रीय पेटेंट का भी उनके नाम श्रेय जाता है। लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक शोध परियोजनाओं का निर्देशन, 19 फेलोशिप, 13 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उन्हें जाता है। डा. सूर्यकान्त टी.बी., निमोनिया, अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. जैसी बहुत सी बीमारियों की नेशनल गाइडलाइन्स की 23 समितियों के सदस्य भी रहे हैं। उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 157 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डा. सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर भी हैं।
इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी एवं नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके साथ ही इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। डा. सूर्यकान्त आईएमए, लखनऊ के अध्यक्ष एवं उप्र आईएमए एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज के चेयरमैन रह चुके हैं एवं वर्तमान में आईएमए-एएमएस के राष्ट्रीय वायस चेयरमैन हैं। वह पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओ एवं टी.वी. व रेडियो के माध्यम से लोगों के बीच विभिन्न बीमारियों से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। कोविड काल में जनमानस को कोरोना जैसी घातक बीमारी के बारे में इलेक्ट्रानिक/प्रिंट/सोशल मीडिया के द्वारा जागरूक करते रहे हैं।