लखनऊ, (मानवी मीडिया)जिले में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) के मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बाबा ठाकुर दास इंटर कॉलेज, केसरबाग में कार्यक्रम का शुभारम्भ किया | इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल सुदाम चंद्रवानी ने बच्चों को दवा खाने के लिए प्रोत्साहित किया | कार्यक्रम में उपस्तिथ सभी बच्चों को एल्बेन्डाजॉल की गोली खिलाई गयी |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोज अग्रवाल ने बताया कि जिले में 18. 43 लाख बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत 2 से 19 साल के सभी बच्चों को जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों व स्कूलों में दवा खिलाई जाएगी । उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं।
बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। दवा स्ट्राबेरी फ्लेवर में है बच्चों के लिए स्वाद अच्छा है।
प्रधानाचार्य सुदाम ने कहा कि पूर्व में भी राष्ट्रीय कृमि दिवस मनाया जाता था कोविड के कारण थोड़ा व्यवधान उत्पन्न हो गया था फिर से यह कार्यक्रम शुरू हुआ है इसका हम सभी को लाभ उठाना चाहिए और कीड़े की दवा का सेवन करने से पेट में जो कीड़े होंगे वह नष्ट हो जाएंगे, जिससे हम स्वस्थ रहेंगेl
क्यों खाएं दवा
सीएचसी अधीक्षक डॉ. वाई के सिंह ने बताया बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।
इस मौके पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी ए पी सिंह व डा. मिलिंद वर्धन, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबंधक(डीसीपीएम ) विष्णु यादव, डीआईसी मेनेजर गौरव सक्सेना, शहरी स्वास्थ्य समन्वयक शशि यादव, पीएमएमवाईके समन्वयक सुधीर वर्मा व इंटर कॉलेज के सभी अध्यापक व स्टाफ मौजूद रहा |