मां काली से पहले भी कई फिल्मों पर उठे थे विवाद : फिल्ममेकर लीला मणिमेकलाई - मानवी मीडिया

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Tuesday, July 5, 2022

मां काली से पहले भी कई फिल्मों पर उठे थे विवाद : फिल्ममेकर लीला मणिमेकलाई


नई दिल्ली (मानवी मीडिया मां काली पर विवादित फिल्म बनाने वाली फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई इस वक्त देश में चर्चा में आ गई हैं। उनके खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में मुकदमा दर्ज किया गया है। फिल्म डॉक्यूमेंट्री में मां काली का पोस्टर जारी हुआ है, जिसमें मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है और उनके हाथ में एलजीपीक्यू का पोस्टर है। इस पोस्टर के सामने आने के बाद देशभर में उबाल है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। चलिए जानते हैं, कौन हैं फिल्मकार लीला मणिमेकलाई।

शादी की बात पर घर छोड़ गई थीं लीला
लीना मणिमेकलाई मदुरै के महाराजापुरम नामक गांव से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता एक कॉलेज लेक्चरर थे। जब उन्हें अपनी शादी की योजना के बारे में पता चला, तो लीना ने अपना घर छोड़ दिया और चेन्नई आ गई। एक तमिल पत्रिका में नौकरी के लिए आवेदन किया। लेकिन, पत्रिका के मालिकों ने उन्हें उसके परिवार को सौंप दिया। काफी मशक्कत के बाद वह अपने परिवार को इंजीनियरिंग कोर्स के लिए राजी करने में सफल रही। हालांकि, अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में उनके पिता का निधन हो गया।

2002 में फिल्म महात्मा से शुरू किया करियर
अपने परिवार का समर्थन लेकर लीना ने कुछ वर्षों तक बेंगलुरु में एक आईटी फर्म में काम किया। साल 2002 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म महात्मा पर काम करना शुरू किया। उसके बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

फिल्म के लिए घर का किराया देने तक के लाले
समाज के हाशिया वर्गों पर अपने काम के लिए लीला ने कई फेलोशिप जीती। उनकी फिल्मों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया। लेकिन उन्हें अक्सर अपनी फिल्में बनाने के लिए पैसों के लिए संघर्ष करना पड़ता था। कई बार ऐसे मौके आए कि वह अपनी फिल्म के लिए पैसे देने के बाद अपने घर का किराया नहीं दे सकती थी।

पहले भी फिल्मों पर उठे विवाद
उनकी 2002 की फिल्म महात्मा ने चित्रित किया कि कैसे नाबालिग लड़कियों को मंदिरों में सौंपे जाने के बाद पुजारियों द्वारा कथित रूप से शोषण किया जाता था। उनकी पहली फिल्म ने एक बड़े विवाद को जन्म दिया लेकिन वह अडिग रहीं। 2004 में, उन्होंने दलित महिलाओं पर एक और फिल्म बनाई, जो भी विवादों में रही। 2011 में, धनुषकोडी में मछुआरों की दुर्दशा पर 'सेंगादल' नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाने के बाद लीना ने एक और विवाद को जन्म दिया। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के साथ लंबी लड़ाई के बाद फिल्म को रिलीज किया गया और कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसकी सराहना की गई।


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