नई दिल्ली (मानवी मीडिया) सेंट्रल विस्टा में बन रहे नए संसद भवन में शेरों की प्रतिमा के राष्ट्रीय प्रतीक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. इसमें खुले मुंह वाले शेरों के प्रतीक को सही करने के निर्देश देने की मांग की गई है. साथ ही इसे प्रतीक चिह्न 2005 के अधिनियम का उल्लंघन बताया गया है और कहा गया है कि इससे राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुंची है.
दो एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड ने सेंट्रल विस्टा बिल्डिंग के ऊपर स्थापित राज्य प्रतीक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इसका डिज़ाइन भारत के राज्य प्रतीक (अनुचित उपयोग के खिलाफ निषेध) अधिनियम 2005 का उल्लंघन है.
अलदानिश रेन और रमेश कुमार मिश्रा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए प्रतीक में चित्रित शेर अपने "खुले मुंह के साथ "क्रूर और आक्रामक" प्रतीत होते हैं, जो कि संरक्षित राज्य प्रतीक के विपरीत है. जबकि सारनाथ संग्रहालय जिसमें शेर "शांत और शांत" दिखाई देते हैं.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इसके डिजाइन में बदलाव करके राज्य प्रतीक की पवित्रता का उल्लंघन करने में घोर मनमानी दिखाई है. भारत का राज्य चिह्न भारत गणराज्य की पहचान का प्रतीक है. भारत गणराज्य हम भारतीयों का है, जब इस पहचान में हस्तक्षेप किया जाता है, तो यह नागरिकों की राष्ट्रीय भावनाओं को आहत करता है.