लखनऊ: (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-
मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के क्रियान्वयन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के अन्तर्गत आकांक्षात्मक विकास खण्ड हेतु शोधार्थियों का चयन किया जाएगा। यह एक पूर्णकालिक कार्यक्रम होगा, जिसके अन्तर्गत 100 आकांक्षात्मक विकास खण्डों के लिए 100 शोधार्थियों का चयन किया जाएगा। शोधार्थी द्वारा योजनाओं का सर्वेक्षण, अध्ययन, प्राथमिक आंकड़ों का संकलन, अनुश्रवण, योजनाओं के संचालन में आ रही चुनौतियों के निराकरण तथा योजनाओं से जनमानस को अपेक्षित लाभ पहुँचाने हेतु सुझाव प्रस्तुत किये जाएंगे। मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित शोधार्थियों की ऊर्जा, प्रौद्योगिकी के प्रति उनके जुनून और युवाओं के नये दृष्टिकोण का आकांक्षात्मक विकास खण्ड में संचालित विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन तथा भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप योजना की संरचना में लाभ प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित शोधार्थी को पारिश्रमिक के रूप में 30 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से भुगतान किया जाएगा। शोधार्थी को पारिश्रमिक के अतिरिक्त भ्रमण हेतु 10 हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जाएगा। टैबलेट क्रय हेतु एकमुश्त 15 हजार रुपये उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त कोई भुगतान देय नहीं होगा। चयनित शोधार्थी को यथासम्भव विकास खण्ड में ही आवासीय सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। फेलोशिप कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित शोधार्थी की सम्बद्धता अवधि नियुक्ति की तिथि से एक वर्ष के लिए मान्य होगी। सक्षम स्तर से अनुमोदनोपरान्त इसे एक वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है। कार्यक्रम अवधि के दौरान शोधार्थियों को जिलाधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी के पर्यवेक्षण में कार्य करना होगा।
शोधार्थी द्वारा आकांक्षात्मक विकास खण्ड में केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा संचालित समस्त योजनाओं का समवर्ती मूल्यांकन कार्य उपजिलाधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी से समन्वय करते हुए किया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को राज्य सरकार के साथ नीति, प्रबन्धन, क्रियान्वयन, अनुश्रवण के कार्याें में सहभागिता का विशिष्ट अवसर प्रदान करना है।
मुख्यमंत्री फेलोशिप कार्यक्रम के लिए प्रतिष्ठित संस्थाओं में (1) कृषि, ग्रामीण विकास, पंचायतीराज एवं सम्बद्ध क्षेत्र (2) वन, पर्यावरण एवं जलवायु (3) शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण एवं कौशल विकास (4) ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा (5) पर्यटन एवं संस्कृति (6) डाटा साइंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आई0टी0, आई0टी0ई0एस0, जैव प्रौद्योगिकी, मशीन लर्निंग डाटा गवर्नेन्स आदि (7) बैंकिंग, वित्त एवं राजस्व (8) लोक नीति एवं गवर्नेन्स के क्षेत्रों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों/शोधार्थियों का चयन किया जाएगा। आवश्यकतानुसार अन्य क्षेत्र भी विचारणीय हो सकते हैं।
कार्यक्रम में चयन हेतु अभ्यर्थियों को नियोजन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अभ्यर्थियों के पास प्रमुख संस्थानों/विश्वविद्यालयों से प्रथम श्रेणी या न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक अथवा उच्च शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए। आवेदकों के पास सूचीबद्ध किसी भी क्षेत्र में प्रासंगिक अनुभव होना चाहिए। आवेदकों के पास उत्कृष्ट कम्प्यूटर कौशल तथा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी अनुप्रयोगों पर काम करने की क्षमता तथा संचार कौशल भी होना चाहिए। अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों के सभी 47 विकास खण्डों में
प्राकृतिक खेती की योजना के प्रस्ताव का अनुमोदन
मंत्रिपरिषद ने बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों के सभी 47 विकास खण्डों में प्राकृतिक खेती की योजना (वर्ष 2022-23 से 2026-27) के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भौगोलिक एवं जलवायु विषमता के कारण प्राकृतिक खेती स्वतः कृषकों द्वारा विभिन्न रूप में की जा रही है। इसे और बढ़ावा देने के लिए राज्य के वित्तीय संसाधनों से प्राकृतिक खेती की पंचवर्षीय योजना का क्रियान्वयन बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों-झांसी, ललितपुर, जालौन, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर एवं महोबा के सभी 47 विकास खण्डों में चरणबद्ध ढंग से प्रति विकास खण्ड 500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाएगी। योजना अवधि में सभी 47 विकास खण्डों में प्रथम चरण (वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक) में 235 क्लस्टर (11,750 हेक्टेयर क्षेत्रफल) तथा द्वितीय चरण में (वर्ष 2023-24 से 2026-27 तक) में 235 क्लस्टर (11,750 हेक्टेयर क्षेत्रफल) में क्रियान्वित की जाएगी। इस प्रकार 05 वर्ष में 23,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 470 क्लस्टरों का गठन कर योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। प्रत्येक क्लस्टर 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का होगा।
योजना के अन्तर्गत कृषकों का चयन उनकी इच्छा के आधार पर किया जाएगा। योजना हेतु वही कृषक पात्र होंगे, जो गोवंश पालते हों अथवा निकटतम स्थापित गोशाला से गोवंश अधिग्रहण के इच्छुक हों। इन इच्छुक कृषकों को गोशाला से गोवंश अधिग्रहण/गोद लेने के विषयगत सम्बन्धित विभाग यथा पशुधन विभाग द्वारा गोवंश संरक्षण हेतु अनुमन्य अनुदान भी तदनुसार उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रस्तावित योजना से जुड़े कृषकों को लागत में कमी तथा प्राकृतिक उत्पाद का प्रीमियम मूल्य पर विक्रय के माध्यम से आर्थिक रूप से सीधा लाभ प्राप्त होगा। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से भी जन-सामान्य को सीधा लाभ प्राप्त हो सकेगा। प्रस्तावित योजना में ग्राम पंचायत स्तर पर 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का क्लस्टर गठित किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक क्लस्टर पर एक चैम्पियन फार्मर एवं एक कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन को 04 वर्ष क्रमशः 3000 रुपये एवं 2000 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन के रूप में दिये जाने का प्रस्ताव है। प्रत्येक क्लस्टर की अवधि 04 वर्ष की होगी, जिस पर कुल धनराशि 14.645 लाख रुपये का व्यय किया जाएगा। इस प्रकार 23,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल हेतु 05 वर्ष में योजना की कुल लागत 6883.15 लाख रुपये प्रस्तावित है। योजनान्तर्गत किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 15 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर देय है।
क्लस्टर की हैण्डहोल्डिंग, क्षमता विकास, अभिलेखीकरण तथा डाटा प्रबन्धन हेतु कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। इस हेतु जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। मण्डल स्तर पर योजना के अनुश्रवण एवं समीक्षा हेतु मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा। न्याय पंचायत स्तर पर तैनात प्राविधिक सहायक (ग्रुप-सी) क्लस्टर के प्रभारी होंगे। विकास खण्ड स्तर पर योजना के अनुश्रवण हेतु सहायक विकास अधिकारी (कृषि) की अध्यक्षता में ब्लॉक स्तर कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा।
यह योजना जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव के दृष्टिगत कृषि उत्पादन में स्थायित्व लाने, मृदा की उर्वरा शक्ति तथा जीवांश कार्बन में वृद्धि, इनपुट लागत में कमी तथा प्राकृतिक उत्पाद का प्रीमियम लागत प्राप्त कर कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने, रसायन एवं पेस्टिसाइड मुक्त खाद्य उत्पाद प्राप्त करने, बुन्देलखण्ड में छुट्टा गोवंश की समस्या के समाधान, स्थानीय स्तर पर रोजगार के सृजन तथा रासायनिक उर्वरक के उपभोग में कमी से विदेशी मुद्रा की बचत में सहायक होगी।
मंत्रिपरिषद द्वारा योजना में किसी भी प्रकार के परिवर्तन/संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाये जाने हेतु
डेलॉयट इण्डिया संस्था को कन्सल्टेंट के रूप में चयनित किये जाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति की संस्तुति के क्रम में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाये जाने हेतु डेलॉयट इण्डिया संस्था को कन्सल्टेंट के रूप में चयनित किये जाने का निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि भारत की अर्थव्यवस्था को 05 ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने हेतु प्रधानमंत्री जी के संकल्प के क्रम में सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाये जाने के लक्ष्य की पूर्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा सेक्टरवार कार्ययोजना तैयार की जा रही है। वर्तमान वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के आलोक में तथा विभिन्न देशों की सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाये जाने हेतु कन्सल्टेंट की सेवाएं प्राप्त किये जाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसकेे दृष्टिगत विधिवत प्रक्रिया अपनाते हुए संस्था/कन्सल्टेंट्स का चयन किये जाने का निर्णय लिया गया था।
कन्सल्टेंट के चयन हेतु 15 मार्च, 2022 को निविदाएं आमंत्रित करते हुए निविदा प्राप्त किये जाने की अन्तिम तिथि 24 मई, 2022 तक निर्धारित की गई। दिनांक 25 मई, 2022 को निविदा से सम्बन्धित तकनीकी प्रस्ताव खोले गये। कुल 07 संस्थाओं यथा- 1-नाबार्ड कन्सेल्टेंसी सर्विसेज प्रा0लि0 2- इन्वेस्ट इण्डिया 3-डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर 4-डेलॉयट इण्डिया 5-ग्राण्ट थॉर्नटन 6-बोस्टन कन्सल्टेंसी ग्रुप 7- आईसार्क से निविदाएं प्राप्त हुई।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा संस्थाओं से प्राप्त तकनीकी निविदाओं का तकनीकी मूल्यांकन किया गया। तकनीकी मूल्यांकन में 03 संस्थायें यथा 1- ग्राण्ट थॉर्नटन, 2- बोस्टन कन्सल्टंेसी ग्रुप, 3- डेलॉयट इण्डिया तकनीकी रूप से अर्ह पायी गईं। इन संस्थाओं की वित्तीय निविदायें 05 जुलाई, 2022 को खोली गई तथा संस्थाओं के कम्पोजिट स्कोर की गणना की गई। ‘डेलॉयट इण्डिया’ संस्था द्वारा उच्चतम कम्पोजिट स्कोर प्राप्त किया गया है।
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18 नई नगर पंचायतों के गठन, 18 नगर पंचायतों तथा 02 नगर पालिका परिषदों का सीमा विस्तार का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में 18 नई नगर पंचायतों के गठन, 18 नगर पंचायतों तथा 02 नगर पालिका परिषदों का सीमा विस्तार करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
नई गठित की जाने वाली नगर पंचायतों में जनपद प्रतापगढ़ की कटरा गुलाब सिंह बाजार, हीरागंज बाजार एवं गड़वारा बाजार, जनपद लखीमपुर खीरी की भीरा, जनपद बलरामपुर की गैंसड़ी, जनपद फतेहपुर की खखरेरू व कारीकन धाता, जनपद देवरिया की तरकुलवा, पथरदेवा व बैतालपुर, जनपद एटा की मिरहची, जनपद गोण्डा की तरबगंज, धानेपुर व बेलसर, जनपद आजमगढ़ की मार्टिनगंज, जनपद सन्त कबीर नगर की हैसर बाजार धनघटा तथा जनपद गोरखपुर की उरूवा बाजार एवं घघसरा बाजार शामिल हैं।
सीमा विस्तार वाली नगर पंचायतांे में जनपद चित्रकूट की नगर पंचायत राजापुर, जनपद बांदा की नगर पंचायत मटौंध, जनपद हरदोई की नगर पंचायत पाली, जनपद प्रतापगढ़ की नगर पंचायत लालगंज, कटरा मेदनीगंज व मानिकपुर, जनपद उन्नाव की नगर पंचायत भगवन्तनगर व ऊगू, जनपद हाथरस की नगर पंचायत सहपऊ, जनपद लखनऊ की नगर पंचायत मलीहाबाद, जनपद गोरखपुर की नगर पंचायत बड़हलगंज, जनपद आजमगढ़ की नगर पंचायत महराजगंज व कटघर लालगंज, जनपद मऊ की नगर पंचायत अमिला, जनपद बलरामपुर की नगर पंचायत पचपेड़वा, जनपद हमीरपुर की नगर पंचायत कुरारा, जनपद रायबरेली की नगर पंचायत सलोन, जनपद सीतापुर की नगर पंचायत महोली सम्मिलित हैं। इसके अलावा, जनपद अमरोहा की नगर पालिका परिषद अमरोहा तथा जनपद सीतापुर की नगर पालिका परिषद महमूदाबाद के सीमा विस्तार का निर्णय भी लिया गया है।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला प्रदेश है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की शहरी जनसंख्या में वर्ष 2001 के सापेक्ष कुल 1.09 करोड़ की वृद्धि हुई है। देश की कुल शहरी आबादी का लगभग 11.80 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में निवास करती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या की लगभग 22.28 प्रतिशत नगरी जनसंख्या है। नगरीकरण की प्रवृत्ति, नगरों के विकास और गैर कृषि आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि आदि को देखते हुए विभिन्न जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों को नगर पंचायत का दर्जा प्रदान करने तथा विभिन्न नगर पंचायतों के सीमा विस्तार के भी प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243Q तथा उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1916 की धारा 3 के अन्तर्गत प्रदेश के 10 जनपदों में स्थित 18 नई नगर पंचायतों का गठन करने तथा विभिन्न जनपदों में स्थित 18 नगर पंचायतों एवं 02 जनपदों में 02 नगर पालिका परिषदों के सीमा विस्तार का निर्णय लिया गया है। इन नये नगरीय निकायों के गठन और विस्तार के परिणामस्वरूप प्रदेश की नगरीय जनसंख्या में कुल 6,88,037 की वृद्धि होगी। इन नगरीय निकायों के गठन तथा विस्तार से प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में नागरिक सुविधाओं के समुचित व सुनियोजित विकास में सहायता मिलेगी तथा सम्बन्धित क्षेत्र की जनता प्रत्यक्ष रूप से विकास में योगदान प्रदान करेंगे।
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प्रदेश में नवनिर्मित एवं निर्माणाधीन महाविद्यालयों को सम्बन्धित राज्य विश्वविद्यालय के क्षेत्रान्तर्गत संघटक महाविद्यालय
(Constitutent College) के रूप में चलाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के 06 राज्य विश्वविद्यालय के क्षेत्रान्तर्गत नवनिर्मित एवं निर्माणाधीन राजकीय महाविद्यालयों को संघटक महाविद्यालय (Constitutent College) के रूप में चलाने हेतु उपलब्ध कराए गए प्रस्ताव के सापेक्ष 09 महाविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र में शिक्षण कार्य प्रारम्भ किये जाने को स्वीकृति प्रदान कर दी है। संघटक महाविद्यालय के तौर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के राजकीय महाविद्यालय जेवर गौतमबुद्धनगर, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के राजकीय महाविद्यालय जखौरा ललितपुर तथा राजकीय महाविद्यालय पाही चित्रकूट तथा महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली के राजकीय महाविद्यालय हसनपुर अमरोहा, राजकीय महाविद्यालय पूरनपुर पीलीभीत तथा राजकीय महाविद्यालय फतेहउल्लागंज ठाकुरद्वारा मुरादाबाद को सम्मिलित किया गया है। इसी प्रकार डॉ0 भीमराव अम्बेडकर आगरा विश्वविद्यालय आगरा के अन्तर्गत राजकीय महिला महाविद्यालय नगला चन्द्रभान फरह मथुरा, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के राजकीय महाविद्यालय पुरवा उन्नाव तथा लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के राजकीय महिला महाविद्यालय मिश्रिख सीतापुर को संघटक महाविद्यालय के रूप में सम्मिलित किया गया है।
ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में संस्थागत पुनर्गठन और समेकन पर जोर दिया गया है। शिक्षण और शोध के अलावा उच्चतर शिक्षण संस्थाएं अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी निभाएंगे जैसे अन्य संस्थानों को विकसित और स्थापित करने में सहयोग देना। उच्चतर शिक्षा संस्थानों को बड़े एवं बहु-विषयक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और एच0ई0आई0 क्लस्टरों/नॉलेज हबों में स्थानान्तरित करके उच्चतर शिक्षा के विखण्डन को समाप्त करना है, जिसमें प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या उससे भी अधिक छात्रों का उत्थान करना होगा। उच्चतर शिक्षा के ढांचे के बारे में, यह नीति सबसे बड़ी अनुशंसा बड़े एवं बहु-विषयक विश्वविद्यालयों तथा उच्चतर शिक्षा संस्थान क्लस्टरों के सम्बन्ध में करती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप विश्वविद्यालय इन संघटक महाविद्यालयों का उपयोग नये संकाय खोलने/शुरू करने के लिए वास्तव में बहुआयामी बनाने हेतु कर सकते हैं तथा शिक्षण-प्रशिक्षण के नये क्षेत्र भी शुरू कर सकते हैं, जो विश्वविद्यालय द्वारा वर्तमान में संचालित नहीं किये जा रहे हों।
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उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत निजी क्षेत्र में विश्वविद्यालयों की स्थापना हेतु आशय पत्र निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत निजी क्षेत्र के 02 निजी विश्वविद्यालयों-मेट्रो विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, उ0प्र0 व के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, पाली डूंगरा, साँख रोड, मथुरा की स्थापना हेतु इनकी प्रायोजक संस्थाओं को आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश राज्य में नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना करने और विद्यमान निजी विश्वविद्यालयों को निगमित करने तथा उनके कृत्यों को विनियमित करने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019’ प्रवर्तित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 में नये विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने, धारा-5 में प्रस्ताव का मूल्यांकन किये जाने व धारा-6 में आशय पत्र निर्गत किये जाने विषयक प्राविधान विहित हैं।
उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 12 सन् 2019) की धारा 58 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल, उत्तर प्रदेश द्वारा राज्य में निजी विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने की प्रक्रिया को विनियमित करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना) नियमावली 2021 का प्रख्यापन किया गया है। इस नियमावली के नियम-14 के अन्तर्गत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति के समक्ष मन्तव्य एवं संस्तुति सहित प्रस्तुत किये जाने का प्राविधान है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 17 मई, 2022 को सम्पन्न बैठक में विचारोपरान्त 02 निजी विश्वविद्यालयों-मेट्रो विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, उ0प्र0 व के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, पाली डूंगरा, साँख रोड, मथुरा की स्थापना हेतु उनकी प्रायोजक संस्थाओं को आशय पत्र निर्गत किये जाने की संस्तुति की गयी है। उच्च स्तरीय समिति द्वारा की गयी इस संस्तुति के सन्दर्भ में मेट्रो विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा उ0प्र0 व के0एम0 (कृष्ण मोहन) विश्वविद्यालय, पाली डूंगरा, सौख रोड, मथुरा की स्थापना हेतु उनकी प्रायोजक संस्थाओं को आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है।
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उ0प्र0 महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश-2022 को अधिसूचित किये जाने एवं तत्सम्बन्धी प्रतिस्थानी विधेयक को विधान मण्डल के आगामी सत्र में पारित कराये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश-2022 को अधिसूचित किये जाने एवं तत्सम्बन्धी प्रतिस्थानी विधेयक को विधान मण्डल के आगामी सत्र में पारित कराये जाने के सम्बन्ध में प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। उ0प्र0 महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्यादेश-2022 को अधिसूचित किये जाने के पश्चात उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ के घटक इकाई (नोएडा) परिसर के संचालन हेतु यू0जी0सी0 से U.G.C. Recognition & Inclusion Certificate व Inspection हेतु आवेदन की प्रक्रिया विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पूर्ण की जाएगी।
उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नोएडा कैम्पस (घटक इकाई) का यू0जी0सी0 द्वारा निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार संचालन हो सकेगा, जिससे संस्था में अध्ययनरत छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री दिये जाने में कठिनाई नहीं होगी। प्रस्तावित संशोधन से उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय नोएडा कैम्पस (घटक इकाई) से शिक्षा ग्रहण चुके एवं अध्ययनरत छात्रों को लाभ प्राप्त होगा। इससे छात्रों को रोजगार प्राप्त करने में सुविधा होगी।
ज्ञातव्य है कि नोएडा कैम्पस के संचालन हेतु शासन से पूर्वानुमति न लेकर मात्र शासन को सूचित करने एवं कालान्तर में अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने को यू0जी0सी0 द्वारा शासन की पूर्वानुमति प्राप्त किया जाना नहीं मानते हुए नोएडा परिसर को बन्द किये जाने की अपेक्षा की गई है। यू0जी0सी0 द्वारा की गई आपत्ति के कारण संस्था में अध्ययनरत छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री दिये जाने में कठिनाई हो रही है। अतः उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नोएडा कैम्पस (घटक इकाई) के संचालन की अनुमति दिनांक 09 जून, 2014 से दर्शाते हुए एम0यू0आई0 टी0, उत्तर प्रदेश एक्ट-2001 में सूक्ष्म संशोधन किया जाना है, जिससे उत्तर प्रदेश महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नोएडा कैम्पस (घटक इकाई) का यू0जी0सी0 द्वारा निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार संचालन हो सकेगा, जिससे संस्था में अध्ययनरत छात्रों को विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री दिये जाने मंे कठिनाई नहीं होगी।
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‘सम्राट पृथ्वीराज’ में दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति किये जाने का निर्णय
मंत्रिपरिषद ने शासनादेश संख्या-612/11-6-2017-एम(43)/17 दिनांक 09 अगस्त, 2017 में निहित व्यवस्थानुसार फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ में दर्शकों द्वारा प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति के 03 जून, 2022 के आदेश का कार्याेत्तर अनुमोदन कर दिया है।
‘सम्राट पृथ्वीराज’ भारत के महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित है, जिसमें उनके शौर्य और पराक्रम को दर्शाया गया है। साथ ही, आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी से युद्ध का चित्रण किया गया है। यह फिल्म दर्शकों में देश प्रेम एवं मातृभूमि की भावना के प्रति जागरूक करती है।
ज्ञातव्य है कि जनोपयोगी एवं बहुमूल्य सन्देश देने वाली फिल्मों में प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर (एस0जी0एस0टी0) के समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति किये जाने के सम्बन्ध में नीति निर्धारण हेतु मंत्रिपरिषद की बैठक दिनांक 08 अगस्त, 2017 में यह निर्णय भी लिया गया था कि समयाभाव की स्थिति में उपयुक्त फिल्मों के चयन हेतु मुख्यमंत्री जी अधिकृत होंगे, परन्तु चयनोपरान्त मंत्रिपरिषद से कार्योत्तर अनुमोदन प्राप्त किया जायेगा। मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रदत्त अनुमोदन के अनुपालन में 03 जून, 2022 को फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के प्रवेश हेतु देय राज्य माल और सेवा कर की समतुल्य धनराशि की प्रतिपूर्ति किये जाने के सम्बन्ध में आदेश निर्गत कर दिये गये हैं।