बेंगलुरू (मानवी मीडिया): कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पत्नी को बिना किसी भावनात्मक लगाव के एटीएम के तौर पर इस्तेमाल करना मानसिक प्रताड़ना के समान है। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए मामले में पत्नी के तलाक को मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि पति ने बिजनेस शुरू करने के बहाने पत्नी से 60 लाख रुपये लिए थे। वह उसे एक एटीएम के रूप में मानता था। उसे अपनी पत्नी से कोई भावनात्मक लगाव नहीं है। पति के व्यवहार के कारण, पत्नी को मानसिक आघात पहुंचा है। कोर्ट ने कहा, “इस मामले में पति द्वारा पत्नी को दिए गए तनाव को मानसिक उत्पीड़न माना जा सकता है। पारिवारिक अदालत इन सभी कारकों पर विचार करने में विफल रही है। उस अदालत ने याचिकाकर्ता पत्नी को नहीं सुना और न ही उसका बयान दर्ज किया।”
पीठ ने कहा, “पत्नी की दलीलों को ध्यान में रखते हुए उसकी तलाक की याचिका मंजूर की जाती है।” जानकारी के मुताबिक, तलाकशुदा दंपति ने 1991 में शादी की थी और 2001 में उनकी एक बेटी हुई। पति का कारोबार था, जो ठप हो चुका था। उस पर काफी कर्ज था, जिसके चलते घर में आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। याचिकाकर्ता ने अपना और बच्चे का ख्याल रखने के लिए एक बैंक में नौकरी की। 2008 में, पत्नी ने अपने पति की मदद करने के लिए कुछ पैसे दिए, जो उसने बिना कर्ज चुकाए इसे खर्च कर दिया।
आरोप है कि वह पैसे निकालने के लिए याचिकाकर्ता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर रहा था। बाद में उसे पता चला कि उसके पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। उससे 60 लाख रुपये लेने के बावजूद उसका पति कोई काम नहीं कर रहा है। पत्नी के अनुसार, उसने अपने पति को पैसे दुबई में सैलून खोलने के लिए दिए थे। इन सब से परेशान होकर पत्नी ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की। हालांकि फैमिली कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी थी कि इस मामले में कोई क्रूरता शामिल नहीं है।