मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि कार्ययोजना को तैयार करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की संस्तुतियों को प्रदेश में लागू करने के लिए बनाये गये रोडमैप और लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 के माध्यमिक विद्यालय नवीनीकरण मिशन के अन्तर्गत उल्लेख की गयीं प्राथमिकताओं का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि तकनीक के प्रयोग से ही अल्प प्रयास व अल्प समय में विषय के संबंध में पूरक जानकारी प्राप्त हो सकती है और प्रदेश के विद्यार्थी राष्ट्रीय व वैश्विक प्रतिस्पर्धा मंे सफलता प्राप्त करने के लिए सक्षम हो सकेंगे। समुचित ज्ञान और तकनीकी कौशल के समन्वय से कैरियर और रोजगार की व्यापक सम्भावनाएं बढ़ेगी। इसको ध्यान में रखते हुए शैक्षिक सुशासन की गुणवत्ता बढाने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही लाने हेतु प्रत्येक क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा और शैक्षिक तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रयास किये गये हैं।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि प्रदेश में कौन से विद्यालय कहॉ स्थित है, किस बस्ती के नजदीक कितने विद्यालय हैं एवं नया विद्यालय बनाने के लिए उचित स्थान क्या है, इत्यादि की जानकारी/प्रश्नों के उत्तर देने के लिए सभी विद्यालयों की मैंपिग कर दी गयी है और एक वेब पोर्टल विकसित किया गया है, जिसका नाम ’‘पहॅुच’’ रखा गया है। स्कूल मैपिंग साफ्टवेयर और पहॅुच पोर्टल का विकास भाष्कराचार्य नेशनल इन्सीट्यिूट फार स्पेस एप्लीकेशन एण्ड जिओ इन्फारमेटिक्स (ठप्ै।ळ), गांधीनगर गुजरात के सहयोग से किया गया है। स्कूल मैपिंग की इस नवीन व्यवस्था से माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की व्यवस्था और अधिक तर्कसंगत एवं पारदर्शी सम्भव होगी। उन्होंने बताया कि कक्षा-10 तथा कक्षा-12 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बच्चों को अपने भावी जीवन के लिए क्या-क्या विकल्प उपलब्ध है, के संबंध में बच्चों की सहायता के लिए करियर गाइडेन्स पोर्टल ’’पंख’’ को विकसित किया गया है। इस पोर्टल पर विद्यार्थियों को उनकी आकांक्षाओं, रूचि और रूझान से मेल खाने वाले विभिन्न करियर पथ का चयन करने और उन्हें कालेज, छात्रवृत्ति, कौशल विकास कार्यक्रम, इन्टर्नशिप और शिक्षा के विषय में उपलब्ध विकल्पों के बारे में बेहतर सलाह मिल सकेगी।वॉछित करियर के विषय में विस्तृत जानकारी होने से चुनाव में सुगमता तथा सफलता के अवसर में वृद्धि होगी। सम्प्रति राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गयी है।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि विद्यार्थियों और जन सामान्य को सहजतापूर्वक सम-सामयिक एवं संदर्भ सामग्री उपलब्ध कराने के लिए ई-लाइब्रेरी पोर्टल ‘‘प्रज्ञान’’ और मोबाइल एप विकसित किया गया है। पोर्टल पर ई-पुस्तकों के विशाल संग्रह के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं, उद्यमिता व स्टार्ट-अप, एन0आई0सी0 ई-ग्रन्थालय एवं उ0प्र0 लाइब्रेरी नेटवर्क की जानकारी उपलब्ध है। पोर्टल सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है। अधिक संख्या में पुस्तकों के डिजिटल वर्जन प्राप्त करने तथा प्रदेश के विभिन्न सार्वजनिक पुस्तकालयों में कौन सी पुस्तकें उपलब्ध हैं, की जानकारी हेतु जनसामान्य अपने घर से ही पुस्तकों को मोबाइल एप पर देख सकेेंगे। उन्होंने बताया कि किस राजकीय विद्यालय में क्या संसाधन हैं तथा विद्यालयों में हो रही गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने तथा अनुश्रवण, पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण करने के लिए ‘‘परख’’ पोर्टल विकसित किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से राजकीय विद्यालयों में निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षण कार्य की प्रगति, शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की दैनिक उपस्थिति और भौतिक संसाधनों की उपलब्धता का ऑनलाइन अनुश्रवण सम्भव होगा। विद्यालयों के प्रदर्शन के मानक भी विकसित किये गये हैं जिनके आधार पर प्रत्येक राजकीय विद्यालय की श्रेणी निर्धारित होगी। प्रदर्शन आधारित श्रेणीकरण की व्यवस्था से विद्यालयों में स्वस्थ शैक्षिक प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होगी।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि यू0पी0 बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त, सहायता प्राप्त और राजकीय विद्यालयों के विषय में जानकारी हेतु प्रत्येक विद्यालय का वेबपेज बनाया गया है जो कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इस वेबपेज परजन सामान्य और अभिभावकों के लिए विद्यालय में छात्र पंजीकरण, स्टाफ विवरण, सुविधाएं, विविध क्षेत्रों में प्रदर्शन, परीक्षा परिणाम और विशिष्ट उपलब्धि इत्यादि की जानकारी मौजूद है। इस वेबपेज पर विद्यालयोें द्वारा विकसित की जा रही वेबसाइट भी उपलब्ध है जिसके माध्यम से विद्यालय के विषय में विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी। इस व्यवस्था से शैक्षिक नियोजन, प्रबन्धन एवं प्रशासन में सुगमता होगी। उन्होंने बताया कि मा0 मुख्यमंत्री जी का संकल्प है- हर हाथ को कौशल और काम। हमारी सरकार का उद्देश्य पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ विद्यार्थियों में रोजगारपरक कौशल विकसित करना भी है। एक कुशल नागरिक ही एक नये और बेहतर समाज को बनाता है। बेरोजगारी का अन्त तभी सम्भव है जब प्रत्येक व्यक्ति अपना उद्यम स्वयं सृजित करने योग्य हो और यह तभी सम्भव है जब उनके हाथ में हुनर हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 में व्यावसायिक ज्ञान को पाठ्यक्रम में एकीकृत कर चरणबद्ध तरीके से सभी विद्यार्थियों को सुलभ बनाने की सिफारिश की गयी है।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा कौशल विकास मिशन के साथ मिलकर अभिनव प्रयास ’’प्रवीण’’ योजना के रूप में प्रारम्भ किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के संयुक्त सहयोग से राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों में वोकेशनल ट्रेनिंग के माध्यम से जॉब रेडी स्किल्स के विकास के लिए प्रत्येक कार्यदिवस में विद्यालय अवधि में निःशुल्क सर्टिफिकेशन कोर्स संचालित किया जायेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग इच्छुक विद्यार्थियों का चिन्हांकन करेगा तथा कक्षा-कक्ष उपलब्ध करायेगा। कौशल विकास मिशन द्वारा प्रशिक्षण संबंधी आवर्ती व अनावर्ती व्ययों का वहन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के असेवित क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता की वहनीय शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 39 नवीन हाईस्कूल और 14 नवीन इण्टर कालेज का निर्माण प्रारम्भ किया जा रहा है। इन राजकीय हाईस्कूलों की स्थापना से प्रतिवर्ष लगभग 6,240 और राजकीय इण्टर कालेजों की स्थापना से लगभग 2240 छात्र/छात्राओं को अध्ययन की सुविधा उपलब्ध होगी।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय में मूलभूत अवस्थापना एवं पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों संबंधी सुविधाओं की उपलब्धता अपरिहार्य होती है। माध्यमिक विद्यालयों में आवश्यक भौतिक संसाधनों की अद्यतन जानकारी प्राप्त करने और उपलब्ध जानकारी के आधार पर प्राथमिकता का निर्धारण व नियोजन कर विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय की धारण क्षमता में वृद्धि तथा अनेकानेक सुविधाओं की उपलब्धता के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के अन्तर्गत प्रत्येक विद्यालय के संसाधनों की मैपिंग की गयी है। तद्नुसार चरणबद्ध तरीके से अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार एवं अनुरक्षण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि राजकीय विद्यालयों के शिक्षको, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति का अनुश्रवण करने के लिए लक्षित सभी 2273 राजकीय विद्यालयों में बायोमेट्रिक अटेन्डेन्स डिवाइस स्थापित की गयी है। राजकीय विद्यालयों में दैनिक उपस्थिति का ऑनलाइन अनुश्रवण होने से विद्यालयों में पठन-पाठनऔर अधिक नियमित होगा और विद्यार्थियोंके पढ़ाई-लिखाई के स्तर में वृद्धि भी होगी।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि असेवित क्षेत्रों में माध्यमिक शिक्षा सुलभ कराने के लिए 84 नवीन राजकीय इण्टर कालेजों का निर्माण करके संचालन प्रारम्भ किया गया है। इन विद्यालयों के संचालन से प्रतिवर्ष लगभग 46,200 छात्र/छात्राओं को गुणवत्तापरक वहनीय माध्यमिक स्तर की शिक्षा सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि शैक्षिक दृष्टि से पिछडे व सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहने वाली वंचित समूह की लगभग 6500 छात्राओं को प्रतिवर्ष निःशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 65 बालिका छात्रावासों का संचालन किया जा रहा है। इससे बालिकाओं के ड्रापआउट में कमी होगी और उनकी माध्यमिक स्तर की शिक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री, ई-कन्टेंट, विभिन्न सम-सामयिक विषयांे पर सामग्री, प्रोजेक्टस् आदि के ऑनलाइन अध्ययन हेतु लक्षित सभी 2273 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा प्रारम्भ हो गयी है। इस सुविधा से शिक्षकों द्वारा इन्टरनेट पर विभिन्न विषयों पर उच्च कोटि के शैक्षिक वीडियो के माध्यम से शैक्षिक कार्य करने में सुगमता होगी। शिक्षकों द्वारा भारत सरकार के दीक्षा पोर्टल पर ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण भी प्राप्त करना सम्भव होगा। इन्टरनेट सुविधा के उपयोग से स्मार्ट क्लासेस का संचालन किया जा सकेगा। इससे विद्यालयों में स्थापित सी0सी0टी0वी0 कैमरों को बाधारहित रूप संे संचालित किया जा सकेगा तथा सुचारू शैक्षिक अनुश्रवण एवं प्रशासनिक प्रबंधन में भी मदद मिलेगी। विद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराना लोक कल्याण संकल्प पत्र में उल्लिखित है। उन्होेंने बताया कि डिजिटल लिट्रेसी के लिए माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की ई-मेल आई0डी0 का सृजन प्रारम्भ किया गया है। इसके प्रयोग की क्षमता विकसित होने से विद्यार्थियों को सूचना/जानकारी के आदान-प्रदान में सुलभता तथा समय की बचत होगी तथा विभाग द्वारा भी विद्यार्थियों के साथ शैक्षिक और विभिन्न उपयोगी जानकारियॉ प्रदान करने हेतु संवाद किया जा सकेगा। इस पहल से छात्रों की डिजिटल लिट्रेसी का पहला कदम पूरा होगा।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि प्रदेश की राजकीय इण्टरमीडिएट कालेज के भवन निर्माण हेतु मानकीकृत आगणन एवं मानचित्र में अप्रासंगिक/अनुपयुक्त/अनुपयोगी मदों को हटाकर समय-समय पर किये गये नीतिगत परिवर्तनों एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं के दृष्टिगत राजकीय विद्यालय भवन के मानचित्र व आगणन का नवीन मानकतैयार किया गया है। नवीन मानकीकरण में लैंगिक एवं समावेशी शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक प्राविधानों का समावेश किया गया है तथा पाठ्यक्रमीय व पाठ्येत्तर क्रियाकलापों के सुचारू संचालन हेतु आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की व्यवस्था की गयी है। मानकीकरण में भूमि की उपलब्धता के आधार पर डिजाइन के विकल्प भी प्रस्तावित हैं। नवीन मानकीकरण से विद्यालय की धारण क्षमता में वृद्धि और संचालन की दक्षता में वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि अध्यापक पुरस्कार हेतु प्रचलित नीति को और अधिक प्रासंगिक एवं आकलन के मानकों को युक्तिसंगत बनाने, अध्यापकों की संख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुये विषयवार/वर्गवार पुरस्कारों की संख्या निर्धारित करने के लिए पुरस्कार हेतु संशोधित प्रक्रिया एवं मानक तैयार किये गये हैं। इससे शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रत्येक विषय/वर्ग के अध्यापकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार एवं मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि प्रदेश के असेवित क्षेत्रो से माध्यमिक विद्यालयों की दूरी, असेवित क्षेत्र की जनसंख्या, साक्षरता दर और आकांक्षात्मक जनपद इत्यादि मानकों के आधार स्थापना हेतु नवीन विद्यालय चयन की पारदर्शी कार्ययोजना विकसित की गयी है। नवीन विद्यालय स्थापना की कार्ययोजना आवश्यकताओं के आकलन, प्राथमिकताओं के निर्धारण और चरणबद्ध विद्यालय निर्माण की योजना बनाने में उपयोगी होगी। कार्ययोजना में असेवित क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के माध्यम से विद्यालय स्थापना के लिए प्रावधान किये गये हैं। उन्होंने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 प्रयागराज द्वारा दी जानी वाली माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता की व्यवस्था को समसामयिक, सरल और प्रक्रिया को ऑनलाइन व पारदर्शी बनाने के लिए मान्यता की शर्तो में संशोधन की कार्ययोजना बनायी गयी है, जिससे स्कूली शिक्षा में उत्कृष्ट कोटि के अधिक से अधिक विद्यालय स्थापित होने मेें सुगमता होगी तथा नवीन व्यवस्था में स्कूली शिक्षा में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 द्वारा अपेक्षित मानकों की व्यवस्था पर भी बल प्रदान किया गया है।इसमें कम्यूटर शिक्षा होने की अनिवार्यता, खेल की उचित व्यवस्था, स्मार्ट क्लास, एन0सी0सी0 कक्ष, सी0सी0टी0वी0, बायोमैट्रिक, वाई-फाई इन्टरनेट इत्यादि की व्यवस्था निर्धारित की गयी है ।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने बताया कि विद्यालयों में पठन-पाठन के प्रभावी और जवाबदेह वातावरण सृजित करने के लिए शिक्षकों के रिक्त पदों पर समयबद्ध चयन एवं पदोन्नति के माध्यम से उपलब्धता के लिए सीधी भर्ती के समस्त रिक्त पदों का अधियाचन प्रेषित किया गया तथा पदोन्नति की गयी है। इसी प्रकार सामान्य शिक्षा सेवा संवर्ग के समूह ’ख’ एवं ’क’ के रिक्त पदों के प्रति अधियाचन प्रेषण एवं पदोन्नति की कार्यवाही की गयी है। समयबद्ध चयन एवं पदोन्नति से विद्यालयी/कार्यालयी कार्यक्षमता में सुधार होगा और जन सामान्य को समयबद्ध बेहतर सुविधाएं प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के चयन हेतु वस्तुनिष्ठ प्रक्र्रिया तैयार की गयी है। इससे संस्कृत माध्यमिकविद्यालयों में योग्य शिक्षकों का समयबद्ध चयन सुनिश्चित होगा और शिक्षकों की उपलब्धता हो जाने से शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होगा।
प्रेसवार्ता के समय अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा अराधना शुक्ला, विशेष सचिव देवव्रत मिश्रा एवं शम्भू कुमार, निदेशक सरिता तिवारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।