लखनऊ:( मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं के अनुरूप निराश्रित गोवंश को अनुकूल वातावरण में संरक्षित करते हुए उनके चारा, पेयजल, उपचार आदि की उच्च स्तरीय व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही गोवंश पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही गांवों में स्थित चारागाहों की भूमि को चिन्हित करके पशुओं के चारागाह के लिए उत्तम व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किए जाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
यह बातें उ0प्र0 के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने श्री कृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के पदाधिकारियों से आज अपने विधान भवन स्थित कार्यालय कक्ष में मुलाकात के दौरान कही। उन्होंने जनपद बिजनौर की श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के पदाधिकारी स्वामी आत्मानन्द एवं स्वामी ऋषभदेव आनन्द द्वारा चारागाह की भूमि उपलब्ध कराये जाने की मांग पर कहा कि जिला प्रशासन बिजनौर से विचार-विमर्श करके समुचित निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने श्रीकृष्णायन देशी गौरक्षाशाला द्वारा निराश्रित गोवंश के सेवा एवं संरक्षण किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके कार्यों की सराहना की।पशुधन मंत्री ने कहा कि निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए राज्य सरकार संवेदनशील एवं प्रयत्नशील है। चारे की समस्या के समाधान के लिए सभी जिलाधिकारियों को भूसा बैंक स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पशुओं की संख्या को देखते हुए 10.35 लाख मीट्रिक टन भूसे की आवश्यकता होगी। इसके लिए सभी जनपदों को टेंडर एवं दान के माध्यम से भूसा एकत्र किए जाने निर्देश दिए गए हैं।
श्री कृष्णायन देशी गौरक्षाशाला के पदाधिकारियों ने बताया कि शासन द्वारा प्राप्त अनुदान की राशि अपर्याप्त होने के कारण निराश्रित गोवंश के लिए चोरे की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसको दृष्टिगत रखते हुए उनकी संस्था को चारागाह की भूमि उपलब्ध करायी जाय। मा0 मंत्री जी ने संस्था की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किए जाने का आश्वासन दिया।