मुंबई (मानवी मीडिया) महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच पहली बार भाजपा ने सरकार बनाने के संकेत दिए हैं। शिवसेना में बड़ी टूट होने और 40 से ज्यादा विधायकों के गुवाहाटी में बैठे होने के चलते राज्य में सरकार के अस्थिर होने का खतरा है। भाजपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और इस संकट में अपना हाथ होने की बात से इनकार किया है। हालांकि केंद्रीय राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे ने रविवार को साफ संकेत दे दिए कि भाजपा इस घटनाक्रम को लेकर ऐक्टिव है और सरकार भी बना सकती है। उनके बयान के बाद से कयास और तेज हो गए हैं।
उन्होंने जालना में कृषि विभाग की एक इमारत के उद्घाटन के मौके पर कहा, 'मैं केंद्र सरकार में मंत्री हूं। टोपे साहब राज्य सरकार में मंत्री हैं। मैं ढाई साल से मंत्रालय संभाल रहा हूं। आप लोगों ने 14 सालों में जो कुछ भी किया है या जो भी बचा है, उसे जल्दी से कर लो। टाइम खत्म हो रहा है। यदि आप भविष्य में अवसर चाहते हैं तो हम उस पर विचार करेंगे। लेकिन जिले में बहुत से काम किए जाने की जरूरत है। टोपे साहब मैं दो से तीन दिन विपक्ष में हूं और मैंने अपना विचार आपके सामने रखा दिया है।' बता दें कि दानवे ने यह टिप्पणी ऐसे वक्त में की है, जब राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस लगातार चुप्पी बनाए हुए हैं।
प्रशासन पर क्यों भड़क गए रावसाहेब दानवे
दरअसल कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ही उन्होंने 2 से तीन दिन तक ही विपक्ष में रहने की बात कह दी। आमंत्रित न करने पर खफा दानवे ने पूछा कि क्या अधिकारी प्रोटोकॉल नहीं जानते हैं। मैं तो राजेश टोपे के कहने पर आ गया हूं और उन्होंने मुझे आमंत्रित किया था। खैर, हम अगले दो से तीन दिन तक ही विपक्ष में हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के राजनीतिक हालातों को लेकर कयासबाजी का दौर जारी है। इस बीच खुद को अयोग्य ठहराने के नोटिस के खिलाफ एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिस पर आज ही सुनवाई होने जा रही है।
क्या सिंधिया मॉडल पर एकनाथ शिंदे गुट को साधेगी भाजपा
खबरें यह भी हैं कि भाजपा की ओर से महाराष्ट्र में अब मध्य प्रदेश फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। एकनाथ शिंदे समेत ज्यादातर विधायक अपने इलाकों में ताकतवर हैं। ऐसे में उनके इस्तीफा लिया जा सकता है और सदन की संख्या कम होने पर सरकार बनाने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके बाद इस्तीफा देने वाले विधायकों को उपचुनाव में मौका दिया जाएगा और यदि कुछ लोग हार जाते हैं तो उन्हें दूसरी जगहों पर एडजस्ट किया जा सकता है।