डा0 निषाद ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि मत्स्य विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का ग्रामीण अंचल के लोग, महिलायें एवं मत्स्य पालक अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत लाभार्थियों का पंजीकरण, ऑनलाइन आवेदन, डी०बी०टी के माध्यम से सब्सिडी का अंतरण एवं विभागीय आंकड़ों सूचनाओं की एम०आई०एस फीडिंग आदि कार्यक्रम विभागीय पोर्टल http://fymis.upsdc.gov.in के माध्यम से पारदर्शी ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है। प्रदेश में सघन मत्स्य पालन के लिए नई तकनीकों जैसे रीसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, एकीकृत मत्स्य पालन, बायोफ्लॉक आदि को अपनाने हेतु मत्स्य उद्यमियों को प्रेरित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में बायोफ्लॉक, आर.ए.एस आदि कई नवाचार योजनाओं को सम्मिलित किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। डॉ निषाद जी ने आगे बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत संचालित विभिन्न परियोजनाओं के लिए विभाग द्वारा आवेदन आमंत्रित करने हेतु पोर्टल आगामी 01 जुलाई से 15 जुलाई 2022 तक आम जनमानस के लिए खोला जायेगा और जरूरत पड़ने पर इस तिथि को आगे भी बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा की इस लाभ लेकर मात्स्यिकी गतिविधियॉ, स्थापित/संचालित करने हेतु मछुआ समुदाय के व्यक्ति, पट्टेधारक व उद्यमी योजना की गाइडलाइन के अनुरूप आवेदन कर सुविधा अनुदान सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
डा0 संजय कुमार निषाद द्वारा प्रदेश में मत्स्य विकास की अपार संभावनाओं पर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से वेबिनार से जुडे़ मत्स्य कृषकों, मत्स्य पालको, मत्स्य व्यवसायियों व मत्स्य पट्टाधारकों को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना व निषादराज बोट योजना की विस्तृत जानकारी एवं योजना संबंधी पात्रता को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने अपने संबोधन में गरीब मछुआ समुदाय के व्यक्तियों जिनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है तथा भूमिहीन व्यक्तियों को कोल्ड चेन की परियोजनाओं यथा साइकिल विथ आइस बाक्स, मोटर साइकिल विथ आइस बाक्स, थ्री व्हिलर विथ आइस बाक्स, बैकयार्ड आर0ए0एस0 की जानकारी देते हुए मत्स्य गतिविधियों से जुड़ने हेतु प्रोत्साहित किया तथा साथ ही बडे़ मत्स्य पालक/मत्स्य व्यवसायियों से यह भी अनुरोध किया कि अपने आस पास के गरीब व निर्बल व्यक्तियों को मत्स्य पालन से लाभ हेतु प्रेरित करें ताकि उनके मत्स्य पालन तालाब/यूनिट से दिन प्रतिदिन मछलियों का क्रय कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें तथा उत्पादन स्थल पर उत्पादक को और भी अधिक आय प्राप्त हो सके।
मंत्री द्वारा अपने संबोधन में प्रदेश में मत्स्य पालन हेतु पर्याप्त मात्रा में मत्स्य अंगुलिका की उपलब्धता हेतु अधिक से अधिक हैचरियों की स्थापना तथा पुरानी संचालित हैचरियों को नवीन तकनीकी से संचालित करने का भी निर्देश दिया। माननीय मंत्री जी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के अन्तर्गत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की कार्ययोजना तैयार किये जाने हेतु आनलाइन आवेदन दिनांक 01.07.2022 से प्रारम्भ किये जायेंगे, जिसमें सभी इच्छुक व्यक्ति अपने संसाधन एवं क्षमता के अनुरूप आनलाइन आवेदन करते हुए योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
डा0 निषाद ने कहा कि मात्स्यिकी क्षेत्र का विकास सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है और मात्स्यिकी क्षेत्र एवं मछुआ समुदायों की समस्याओं के निराकरण और मत्स्य कृषकों विशेषकर लघु उद्यम से जुड़े, महिला अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं मछुआ समुदाय के विकास के प्रति दृढ़संकल्पित है। मत्स्य पट्टेधारकों एवं मछुआ समुदाय के व्यक्तियों के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए शतप्रतिशत राज्य सहायतित दो नई योजनाओं, निषादराज बोट योजना एवं मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का शुभारम्भ इस वित्तीय वर्ष से किया जा रहा है।
वेबिनार में उ0प्र0 के मत्स्य विकास विभाग, पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा0 रजनीश दुबे ने अपने संबोधन में प्रदेश स्तर पर वेबिनार द्वारा आफलाइन एवं आनलाइन माध्यम से जुडे़ मत्स्य पालकों को धन्यवाद देते हुए आशवस्त किया कि प्रदेश में संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से आगामी 05 वर्षों में प्रदेश के मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में लगभग 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकेगी।
राज्य स्तरीय वेबिनार में लगभग 15,000 मत्स्य पालकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। वेबिनार में श्री शंकर एल0, संयुक्त आयुक्त, मत्स्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा उसके अन्तर्गत संचालित गतिविधियों एवं इस योजना के लागू होने से मात्स्यिकी के क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में आयी सकारात्मक वृद्धि पर व्यापक जानकारी दी गयी। डा0 एस0के0स्वाइन, निदेशक, सी0आई0एफ0ए0, भुवनेश्वर द्वारा आनलाइन प्रस्तुतीकरण के माध्यम से उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन के सतत् विकास एवं भविष्य में मत्स्य विकास की संभावनाओं पर नवीन तकनीकी की जानकारी देते हुए प्रदेश के मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में आगामी वर्षों में प्राप्त की जाने वाली वृद्धि दर को रेखांकित किया। डा0 शैलेश सौरभ, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सी0आई0एफ0ए0, भुवनेश्वर द्वारा पर्ल कल्चर पर तथा डा0 एस0 फिरोसखान, वैज्ञानिक, सी0आई0एफ0ए0, भुवनेश्वर द्वारा पंगेशियस कल्चर पर विस्तार से जानकारी वेबिनार में अपने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से दिया। श्री राम परिजातम द्वारा अपने मोटिवेशनल संबोधन में मत्स्य पालन से जुडे़ कार्य/व्यवसाय के संबंध में व्यवहारिक जानकारी दी गयी।
विशेष सचिव/निदेशक मत्स्य, डा0 सरोज कुमार द्वारा वेबिनार के अन्त में मत्स्य विकास मंत्री तथा अपर मुख्य सचिव, मत्स्य को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके द्वारा दिये गये सुझावों/निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही किये जाने हेतु आश्वस्त किया गया तथा वेबिनार में प्रदेश के सभी जनपदों में आनलाइन/आफलाइन माध्यम से जुड़ने वाले मत्स्य पालकों का भी धन्यवाद दिया। मत्स्य मंत्री डा0 निषाद ने कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु मुख्यालय स्तर से राजेन्द्र सिंह, संयुक्त निदेशक मत्स्य, डा0 हरेन्द्र प्रसाद, उप निदेशक मत्स्य, मुख्यालय, विजय शंकर चौरसिया, उप निदेशक मत्स्य, नियोजन, मोनिशा सिंह, प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश मत्स्य जीवी सहकारी संघ, लखनऊ तथा अंजना वर्मा, उप निदेशक मत्स्य, लखनऊ मण्डल, लखनऊ द्वारा किये गये प्रयासों की सराहना की।