(मानवी मीडिया) डीवी शर्मा ने 1998 से लेकर 2001 तक ताज में बतौर सुपरिटेंडिंग एक्सपर्ट एएसआई काम किया है. इनके मुताबिक ताज वर्जिन जमीन पर नहीं है, इसके नीचे स्ट्रक्चर दबा हो सकता है. नीचे हवेली या उसके हिस्से मिल सकते हैं. उन्होंने बताया कि मुगलों से जयपुर के राजा की ट्रीटी थी. वो उनके दरबार में काम करते थे.
क्या कहते हैं प्रमाण?
ऐसे प्रमाण हैं कि जयपुर के राजा की हवेलियां थीं. ये सच है कि ताजमहल वर्जिन साइट पर नहीं बना था. चार हवेलियां ली गईं और उनके कुछ हिस्सों पर ताजमहल बनाया गया. बाकी हिस्सों को बंद कर दिया गया. कभी किसी ने सोचा नहीं कि इन हिस्सों को खोलकर देखा जाए. डीवी शर्मा कहते हैं कि इसके दबे हुए हिस्से खोले जाएं तो ताज से पहले का इतिहास सामने आ जाएगा
22 कमरों का सच क्या है?
मंदिर के प्रमाण तो हमें नहीं मिले थे लेकिन इसका आर्किटेक्चर कई जगहों का मिश्रण है. इसमें ईरान और भारत दोनों का मिश्रण है. 22 कमरों के सच को लेकर उन्होंने बताया यहां कब्र बनी है. जिसे लोग देखते हैं, उसके नीचे असल कब्र है. पहले लोग नीचे वाली कब्र तक जा सकते थे. लेकिन बाद में सुरक्षा के लिहाज से उसे बंद कर दिया गया. उसके भी नीचे एक तीसरा स्ट्रक्चर है, वहां तक पहुंचा जाना चाहिए. तीसरे हिस्से तक जाने का भी रास्ता है.
फतेहपुर सीकरी में भी किया काम
शर्मा जी ने कहा कि हिडन पोरशन को देखा जा सकता है. ब्रिटिश पीरियड में भी उसे नहीं खोला गया और एएसआई ने भी उसे नहीं खोला. फतेहपुर सीकरी में जब मैंने काम किया तो वहां सरस्वती मिली. वहां जैन प्रमाण भी मिले थे और तब भी विरोध हुआ था. पता चला कि ये जगह विजयपुर सीकरी थी. ताजमहल पर कमल बना है जो आपको किसी और जगह नहीं मिलेगा. ताजमहल में ऐसे कोई अवशेष नहीं मिले जिससे कहा जा सके कि वहां शिव मंदिर है. धमकियों को देखते हुए ताज के कई हिस्से बंद हैं और ओरिजनल सेट तक जाने की परमिशन नहीं है.
प्रवेश हमेशा से रखा गया बंद
मुगल आर्किटेक्चर में हमेशा एक ऑर्नामेंटल कब्र होती है. उसके बाद असल कब्र है. उसके भी नीचे एक और कब्र का सेट है यानी कुल तीन स्टेज हैं. वो हमेशा के लिए आर्क बनाकर बंद कर दी गई हैं इसलिए इसे खोला जा सकता है. 1980 तक लोग दूसरी स्टेज तक जा पाते थे. तीसरी स्टेज तक कभी नहीं गए जबकि वहां तक जाया जा सकता है. ऐसा लगता है कि वहां हवेली के हिस्से थे जिसे बंद किया गया. इसे खोलकर पता लगाया जा सकता है कि वहां कमरे हैं या हवेली? लेकिन वो प्रवेश हमेशा से बंद रखा गया.