एक देश एक कानून' से क्यों डर रहे ओवैसी - मानवी मीडिया

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Sunday, May 1, 2022

एक देश एक कानून' से क्यों डर रहे ओवैसी

(मानवी मीडिया)  देश में समान नागरिक संहिता पर एक बार फिर बहस छिड़ गयी है. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने गोवा का उदाहरण देते हुए कहा है कि मुसलमानों को कोई भी पंचिंग बैग नहीं बना सकता. ओवैसी पर पलटवार करते हुए असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं जितने भी मुस्लिम से मिला सब लोग चाहते हैं UCC आये. कोई मुस्लिम लड़की नहीं चाहती है कि मेरा पति तीन-तीन पत्नी लेकर आये. फिर सवाल यह उठता है कि आखिर ओवैसी और देश की कुछ और हस्तियां देश में एक कानून क्यों नहीं चाहते?

यूनिफॉर्म सिविल कोड से ओवैसी को दिक्कत क्यों?

बता दें कि AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गोवा का उदाहर दिया था. उन्होंने कहा था कि गोवा में जो सिविल कोड है. कैसा सिविल कोड है? अगर गोवा में कोई हमारा हिंदू भाई शादी करता है और उसकी पत्नी की उम्र 25 से 30 साल हो जाती है.. उसको बेटा नहीं हुआ, तो वो फिर शादी कर सकता है. अब इस पर क्या बोलेंगे बीजेपी वाले. सरकार आपकी है वहां पर. देश 'इस्लामिक क़ानून' से चलेगा या संविधान से? वहीं, समान नागरिक संहिता को लेकर CPM नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों को टारगेट करने के लिए बात करते हैं, ये आरएसएस का गेम प्लान है.

एक देश-एक विधान पर क्यों हिंदू-मुसलमान?

ओवैसी के इस बयान पर पलटवार करते हुए असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं जितने भी मुस्लिम लोगों से मिला सब लोग चाहते हैं UCC आये. कोई मुस्लिम लड़की नहीं चाहती है कि मेरा पति तीन-तीन पत्नी लेकर आये. यह UCC हमारी समस्या नहीं है, यह मुस्लिम मां और महिलाओं की समस्या है.

'मजहब' के नाम पर मुस्लिमों को डरा रहे ओवैसी?

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ये जो लोग कंफ्यूजन क्रिएट कर रहे हैं, उनको एक बात समझना चाहिए कि कॉमन सिविल कोड का ये मतलब नहीं है कि किसी की धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में आ जाएगी. 40 से 50 ऐसे देश हैं, जहां समान नागरिक कानून है.

देश एक तो कानून अलग-अलग क्यों ?

बता दें कि वर्ष 1986 में शाहबानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही थी. लेकिन तत्कालीन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए शरीयत को प्राथमिकता दी थी. यूनिफॉर्म सिविल कोड मतलब देश में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक जैसा कानून. व्यक्ति चाहे किसी भी जाति या धर्म का क्यों न हो, देश का कानून समान रूप से लागू होगा. ओवैसी जिस राज्य गोवा की बात कर रहे हैं, वहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है. हालांकि, वहां के कानून में कई शर्तों के साथ केवल हिंदुओं के लिए कई शादियों की इजाजत भी है. वहीं, दूसरी ओर असम सरकार ने UCC को लेकर एक कमेटी बनाई थी. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने भी UCC पर कमेटी की बात कही थी.

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