आगरा (मानवी मीडिया) विश्व धरोहर ताजमहल का विवादों से नाता गहराता जा रहा है। जगतगुरु परमहंस आचार्य को प्रवेश से रोके जाने के बाद सोमवार को एक बार फिर ताजमहल चर्चा में आ गया। वहां हिंदू महासभा के कार्यकर्ता लड्डू बांटने पहंच गए। बैरियर पर चेकिंग के दौरान मिठाई मिलने पर पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इस पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे ताजमहल को लेकर याचिका दायर किए जाने पर खुशी जाहिर करने आए हैं। बहरहाल, पुलिस ने उन्हें ताजमहल के पश्चिमी बैरियर से आगे नहीं बढ़ने दिया। स्मारक के अंदर जाने से सभी को रोक दिया गया।
कार्यकर्ता लड्डू बांटने ही वाले थे कि पुलिस ने उन्हें रोक दिया। गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ताजमहल के 22 बंद कमरों की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है जिससे पता लगाया जा सके कि वहां हिंदू देवताओं की मूर्तियां तो नहीं हैं। याचिका में यह भी मांग की गई है कि एएसआई एक तथ्य-खोज समिति का गठन कर इस पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। याचिका में दावा किया गया है कि बंद दरवाजों के पीछे हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को बंद करके रखा है। याचिका में कुछ इतिहासकारों और हिंदू समूहों द्वारा स्मारक के पुराने शिव मंदिर होने के दावों का भी हवाला दिया गया है।
कहा गया है कि कुछ हिंदू समूह और प्रतिष्ठित संत इस स्मारक को कई इतिहासकारों व तथ्यों द्वारा समर्थित पुराने शिव मंदिर के रूप में दावा कर रहे हैं। वहीं, कई इतिहासकार इसे मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित ताजमहल के रूप में मानते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि तेजो महालय उर्फ ताजमहल एक ज्योतिर्लिंग यानि उत्कृष्ट शिव मंदिरों में से एक प्रतीत होता है। याचिका में आगे कहा गया है कि यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि चार मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से (लगभग 22 कमरे) में स्थित कुछ कमरे स्थायी रूप से बंद हैं। पीएन ओक जैसे इतिहासकार और करोड़ों हिंदू उपासकों का दृढ़ विश्वास है कि उन लॉक रूम में भगवान शिव का मंदिर मौजूद है।