लखनऊ (मानवी मीडिया) केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जालसाजी के जरिए जमीन बेचकर लगभग 45 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपी अशोक पाठक को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। उसे लखनऊ के सक्षम न्यायालय में पेश किया गया, जहां न्यायिक अभिरक्षा में लेकर उसे जेल भेज दिया गया। अशोक पाठक दो अलग-अलग मामलों में वांछित था। वर्ष 2016 में दर्ज कराई गई एफआईआर में वह फरार चल रहा था। पहला मामला वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली का जाली हस्ताक्षर कर हाईकोर्ट में याचिका (याचिका संख्या 15233 एमबी/2016) दायर करने से संबंधित था। इस मामले में अशोक पाठक के अलावा एक अधिवक्ता सहित अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार का 10 मई 2016 का भूमि अधिग्रहण का आदेश अवैध था, क्योंकि यह भूमि वक्फ की थी। जांच के बाद अशोक पाठक समेत अन्य आरोपियों के विरुद्ध 30 दिसंबर 2020 को सीबीआई मामलों से संबंधित विशेष न्यायिक दंडाधिकारी लखनऊ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया। इसके बाद संबंधित भूमि वापस राज्य सरकार के खाते में दर्ज कर दी गई।
दूसरा मामला भी वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली के फर्जी हस्ताक्षर से अवमानना याचिका दायर करने से संबंधित है। यह एफआईआर भी अशोक पाठक के अलावा एक अधिवक्ता और अन्य अज्ञात के विरुद्ध दर्ज हुई थी। यह मामला वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली का जाली हस्ताक्षर कर वर्ष 2015 में अवमानना याचिका (संख्या 2644 सी) दायर करने से संबंधित है। इसमें यह दावा किया गया था कि सरकार ने आरोपी व्यक्तियों के निर्माण गिराकर अवमानना की है।
जांच के बाद इस मामले में भी अशोक पाठक समेत दो आरोपियों के विरुद्ध 31 दिसंबर 2020 को सीबीआई मामलों से संबंधित विशेष न्यायिक दंडाधिकारी लखनऊ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। दोनों याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष लखनऊ स्थित लगभग 57 हेक्टेयर लगभग सरकारी भूमि हथियाने के लिए दायर की गई थी। इसमें लगभग 45 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी शामिल थी। आरोप यह भी है कि इस जमीन को अलग-अलग निजी व्यक्तियों को बेचा गया था।