नई दिल्ली (मानवी मीडिया)- टैक्स वसूलने के लिए अब सरकार नया हाईटेक सिस्टम लाने की तैयारी में है। जिसके बाद फास्टैग सिस्टम को खत्म कर दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार नया सिस्टम सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम पर आधारित होगा।
किलोमीटर के हिसाब से लगेगा पैसा
सूत्रों के मुताबिक नए सिस्टम पर काम शुरू हो गया है और इसका पायलट प्रोजेक्ट भी लॉन्च हो चुका है। इसे हरी झंडी मिलते ही फास्टैग की जगह पर नेविगेशन सिस्टम से टोल वसूली का काम शुरू कर दिया जाएगा। नए सिस्टम में किलोमीटर के हिसाब से या तय की गई दूरी के हिसाब से टोल टैक्स लिया जाएगा। अभी फास्टैग में एक बार टोल टैक्स काटने का नियम है। अगर किसी हाइवे पर गाड़ी चलती है तो टोल प्लाजा पर एक निश्चित राशि फास्टैग अकाउंट से काट ली जाती है। इस राशि का सफर की दूरी या किलोमीटर से कोई वास्ता नहीं होता। नेविगेशन सिस्टम में किलोमीटर के हिसाब से पैसा लिया जाएगा। नए सिस्टम में हाइवे या एक्सप्रेसवे पर जितने किलोमीटर का सफर तय होगा, उतने किलोमीटर का टोल टैक्स देना होगा।
क्या होगा नए सिस्टम में
किसी हाईवे या एक्सप्रेसवे पर जैसे ही गाड़ी चलनी शुरू होगी, उसके टोल का मीटर ऑन हो जाएगा। अपना सफर खत्म करने के बाद गाड़ी जैसे ही हाइवे से स्लिप रोड या किसी सामान्य सड़क पर उतरेगी, तय दूरी के हिसाब से नेविगेशन सिस्टम पैसा काट लेगा। यह नया सिस्टम भी फास्टैग की तरह होगा, लेकिन पैसा उतना ही लगेगा जितना फासला तय होगा। अभी भारत में तकरीबन 97 फीसदी गाड़ियों में फास्टैग लगा है जिससे टोल वसूली होती है।
बता दें कि किलोमीटर के अनुसार टोल वसूली का सिस्टम यूरोपीय देशों में कामयाब रहा है। भारत में भी उसी तर्ज पर इसे लागू करने की तैयारी है। अभी फास्टैग से एक टोल से दूसरे टोल के बीच का पूरा लिया जाता है, भले ही आप आधी दूरी ही तय कर रहे हों, लेकिन पूरी दूरी का पैसा देना होता है। इससे टोल महंगा पड़ता है। जर्मनी में यह सिस्टम लागू है। वहां लगभग 99 परसेंट गाड़ियों में नेविगेशन सिस्टम से ही टोल वसूला जाता है।