नई दिल्ली (मानवी मीडिया): अगर आप भी सिर्फ ऐमजॉन या फ्लिपकार्ट से शापिंग करते हैं तो आपको अब एक सरकारी विकल्प मिलने वाला है। यानि अब मोदी सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को टक्कर देने के लिए अपना एक प्लेटफॉर्म लाने जा रही है
ओएनडीसी द्वारा चुनिंदा उपभोक्ताओं, विक्रेताओं और लॉजिस्टिक प्रदाताओं के लिए शुरू किया गया। अभी दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का लक्ष्य है। इस पहल का उद्देश्य दो बड़ी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रभुत्व पर अंकुश लगाना है। ये कंपनियां देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित करती हैं, बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं, कुछ विक्रेताओं को तरजीह देती हैं और आपूर्तिकर्ताओं के मार्जिन को कम करती हैं। इस समय 80 फर्में ओएनडीसी के साथ काम कर रही हैं और वे एकीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। ये कंपनियां विक्रेता, खरीदार, लॉजिस्टिक या पेमेंट गेटवे के लिए अपने ऐप बना रही हैं।
कैसे काम करेगा ओएनडीसी?
ओएनडीसी के तहत खरीदार और विक्रेता को एक ही प्लेटफॉर्म पर होने की जरूरत नहीं है। वहीं दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी बिजनस ट्रांजेक्शन करने के लिए खरीदार और विक्रेता को एक ही प्लेटफॉर्म पर होना जरूरी होता है। इसके तहत बिजनस और ग्राहक अपने मर्जी के कोई भी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर के ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट, ग्रोफर्स और जोमैटो जैसे तमाम प्लेटफॉर्म्स को डीपीआईआईटी और QCI की तरफ से बनाए गए प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करना होगा।