नई दिल्ली (मानवी मीडिया) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे 108 पूर्व नौकरशाहों के खुले पत्र का पूर्व जजों, नौकशाहों और रिटायर्ड सेना अधिकारियों एक समूह ने जवाब दिया है। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि पीएम को लिखे खत का उद्देश्य पक्षपातपूर्व था। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले 108 पूर्व नौकरशाहों के संवैधानिक आचरण समूह (सीसीजी) ने पीएम को लिखे खत में नफरत की राजनीति का उल्लेख किया था और आरोप लगाया था कि भाजपा सरकारों द्वारा आम लोगों में विद्वेष फैलाया जा रहा है। अपने पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने इसमें पीएम मोदी पर भी आरोप लगाए थे। साथ ही इसे तुरंत बंद करने की मांग की थी।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, देश के आठ पूर्व न्यायाधीशों, 97 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 92 सशस्त्र बलों के रिटायर अधिकारियों ने हस्ताक्षरित पत्र में सीसीजी के पत्र के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खुला पत्र लिखा। पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के कुल 197 हस्ताक्षरकर्ताओं के समूह ने अन्य पूर्व नौकरशाहों के समूह को प्रत्युत्तर जारी किया है, जिसने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुले पत्र में "नफरत की राजनीति" के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी। जिसमें जनता की राय को प्रभावित करने की कोशिश करने और इसमें शामिल होने का आरोप लगाया था। इस बार इस नए समूह ने खुद को 'चिंतित नागरिक' बताते हुए आरोप लगाया कि सीसीजी द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र की भाषा ठीक नहीं थी।
पांच में से चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हालिया चुनावी जीत का हवाला देते हुए हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा, "यह पत्र समूह की जनता की राय के खिलाफ अपनी निराशा को दूर करने का तरीका था जो पीएम मोदी के पीछे खड़ें है।"
अपने काउंटर लेटर में उन्होंने कहा, "उनका 'क्रोध और पीड़ा' के पीछे पुण्य उद्देश्य नहीं है, वे वास्तव में नफरत की राजनीति को हवा दे रहे हैं। वे वर्तमान सरकार के खिलाफ अपने पूर्वाग्रहों और झूठे चित्रण को थोपने का प्रयास करना चाहते हैं।" सीसीजी के पत्र को स्पष्ट वैचारिक आधार के साथ पक्षपाती बताते हुए, चिंतित नागरिक समूह ने आरोप लगाया कि सीसीजी ने पश्चिमी मीडिया के प्रोपेडेंडा की ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा पर सीसीजी की कथित "चुप्पी" पर भी निशाना साधा।