नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-सुप्रीम कोर्ट ने मकान मालिक द्वारा किराएदार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुए कहा है कि किराए का भुगतान करने में विफलता के नागरिक परिणाम हो सकते हैं, लेकिन भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध नहीं है। दरअसल अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें आईपीसी की धारा 415 के तहत धोखाधड़ी के अपराध और धारा 403 के तहत हेराफेरी के अपराध के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किराएदार को अपराधी मानकर उसके खिलाफ मामला नहीं चलाया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने केस खारिज कर दिया। यह मामला नीतू सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य की याचिका से जुड़ा है, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा कि हमारा मानना है कि ये कोई क्राइम नहीं है, भले ही शिकायत में दिए फैक्ट्स सही हैं। किराया न चुका पाने पर कानूनी कार्यवाई हो सकती है लेकिन IPC के तहत केस दर्ज नहीं होगा। इस केस को धारा 415 (धोखाधड़ी) और धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग) साबित करने वाली जरूरी बातें गायब हैं। कोर्ट ने मामले से जुड़ी FIR रद्द कर दी है।