यूपी (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए कई महीनों से जारी सियासी जंग का नतीजा अब आपकी आंखों के सामने है. सपा की लाख कोशिशों के बाद भी यूपी में भाजपा का परचम फिर से लहरा रहा है. इस नतीजे से यह साफ हो गया है कि यूपी में वाकई डबल इंजन की सरकार को लोगों ने पसंद किया और सीएम योगी और पीएम मोदी की जोड़ी के सामने कोई भी नहीं टिक पाया. भाजपा की इस जीत के पीछे कई ऐसी चीजें हैं जो इन पांच सालों में विरोधियों की हर कोशिश पर भारी पड़ी. आइये आपको बताते हैं यूपी विधान सभा चुनाव में भाजपा और सीएम योगी की जीत के पीछे पांच बड़े कारण क्या हैं.
कानून व्यवस्था और अपराधियों पर शिकंजा
2017 में जब योगी आदित्यनाथ यूपी के सीएम पद पर आसीन हुए तभी तय हो गया था कि इस राज्य से गुंडाराज खत्म हो जाएगा. देखते ही देखते कई अपराधियों का एनकाउंट होता चला गया. इस बीच यूपी की कानून व्यवस्था इस कदर मजबूत हुई कि छोटे-मोटे अपराध का ग्राफ अपने आप ही नीचे जाने लगा. आज की तारीख में यूपी में हफ्ता वसूली, माफियाओं का इलाका, दबंगई, लूट-डकैती-फिरौती जैसे अपराध नगण्य हो गए हैं. यहां तक कि यूपी के कई दुर्दांत माफिया एनकाउंटर में मारे गए. इनमें मुन्ना बजरंगी, विकास दुबे, राजेश टोंटा (पश्चिम यूपी) बड़े नाम हैं. वहीं, इन पांच सालों में माफियाओं की अरबों की संपत्ति भी जब्त की गई. बाहुबली नेता मुन्ना बजरंगी के साथ क्या हुआ ये किसी से छिपा नहीं है. इससे यह तो साफ हो गया कि यूपी में कानून व्यवस्था के क्षेत्र में योगी ही टॉपर हैं.
समाजवादी पार्टी की धूमिल छवि
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का किसी से मुकाबला था तो वो था समाजवादी पार्टी से. लेकिन समाजवादी पार्टी अपनी पुरानी छवि को सुधारने में पूरी तरह विफल रही. 2014 में जब अखिलेश यादव की सरकार गिरी तो, चुनावी विशेषज्ञों ने यही कहा था कि कानून व्यवस्था और गुंडागर्दी को बढ़ावा मिलना ही सपा के लिए घातक साबित हुआ. इस क्षेत्र में भाजपा बिल्कुल नहीं चूकी. सत्ता में आने के बाद से ही योगी सरकार कानून को लेकर कभी नरम नहीं पड़ी. वहीं, सपा की बात करें तो पार्टी को पढ़े-लिखे समाज में बिल्कुल जगह नहीं मिली. सिर्फ यादव वोट के साथ यह तो तय था कि सपा लड़ेगी जरूर, लेकिन सरकार नहीं बना पाएगी. वहीं, बीजेपी ने केवल विकास के नाम पर वोट मांग कर सपा और बसपा के तिकड़म को फेल किया. अखिलेश यादव ने एक बार फिर विकास के नाम पर चुनाव जीतने की कोशिश जरूर की.. लेकिन, लोगों ने उनपर दोबारा विश्वास नहीं किया और फिर से बीजेपी का साथ दिया.
मोदी लहर अब भी जारी
अब बात करते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की.. उनकी लोकप्रियता दिन-दोगुनी रात-चौगुनी बढ़ती ही जा रही है. यूपी में भाजपा की जीत का यह भी एक सबसे बड़ा कारण है. चुनाव के कुछ महीनों से पहले ही पीएम मोदी ने यूपी के लिए कमर कस ली थी. उन्होंने यूपी के कई जिलों में रैलियां की. उनकी रैली में लाखों की संख्या में उमड़े लोगों ने जाहिर कर दिया था कि मोदी अब भी हिट हैं. इस बार भी उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि 2014 में शुरू हुई मोदी लहर अभी तक जारी है. 2017 में यूपी में भाजपा की जीत हर तरह से मोदी लहर के नाम थी. 2014 का लोक सभा चुनाव भी ऐसा ही था.
यूपी में बही विकास की बयार
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के विकास कार्यों के लेखा-जोखा पर नजर डालें तो.. ऐसा पिछली सरकारों में कभी देखने को नहीं मिला. इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर कानून व्यवस्था के फ्रंट पर किए गए कार्यों और लिए गए फैसले सबसे ऊपर हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी योगी सरकार ने कई अभूतपूर्व कार्य किए हैं. 59 जनपदों में न्यूनतम 1 मेडिकल कॉलेज बनाए गए. 16 जनपदों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज के स्थापना की प्रक्रिया शुरू है. गोरखपुर, रायबरेली एम्स का संचालन शुरू हो चुका है. महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्विद्यालय गोरखपुर का निर्माण शुरू हो चुका है. पीएम जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में 6 करोड़ 47 लाख से ज्यादा लोगों को बीमा कवर मिल रहा है. 42.19 लाख लोगों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का बीमा कवर. लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्विद्यालय का निर्माण शुरू हो चुका है. 6 नए सुपर स्पेशियलिटी मेडिकल ब्लॉक की स्थापना की गई. प्रदेश भर में 4470 एम्बुलेंस संचालित हैं. नियमित/संविदा पर 9512 चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती हुई है. चिकित्सकों की सेवानिवृत्त आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई.
उत्तर प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर
यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश को पहली बार 5 इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सौगात दी है. 8 एयरपोर्ट संचालित हैं, 13 अन्य एयरपोर्ट एवं 7 हवाईपट्टी का विकास हो रहा है. 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. 297 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य प्रगति पर है. 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए हुआ भूमि अधिग्रहण लगभग पूरा हो चुका है. 91 किमी लंबे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रगति पर है. बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को मंजूरी मिल चुकी है.