लखनऊ (मानवी मीडिया) यूपी विधान सभा चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों ने घोषणा पत्र जारी किया था. इसमें जनता से कई वादे किए गए थे. इसको लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यदि राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें दंडित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.
विचार, नीति है घोषणापत्र
जस्टिस दिनेश पाठक ने खुर्शीदुर्रहमान एस रहमान द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल का चुनावी घोषणा पत्र उसकी नीति, विचार, वादे का एक वक्तव्य होता है, जोकि बाध्यकारी नहीं है. इसे कानून के जरिए लागू नहीं कराया जा सकता.
नहीं है कानूनी प्रावधान
कोर्ट ने कहा कि यदि राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें दंडित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि भाजपा (BJP) के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में पार्टी ने 2014 के लोक सभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए थे.
निचली अदालतों ने खारिज की थी याचिका
याचिका में कहा गया कि लेकिन पार्टी अपने वादों को पूरा करने में विफल रही. इसलिए उसने धोखाधड़ी, विश्वासघात, बेईमानी का अपराध किया. इससे पूर्व निचली अदालतों ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया था.