शरजील इमाम ने दी राजद्रोह के आरोप तय करने को चुनौती - मानवी मीडिया

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Saturday, March 12, 2022

शरजील इमाम ने दी राजद्रोह के आरोप तय करने को चुनौती


नई दिल्ली (मानवी मीडियादिल्ली हाईकोर्ट  ने सीएए और एनआरसी के विरोध में कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में राजद्रोह के आरोप तय किए जाने संबधी निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र शरजील इमाम  की याचिका पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। अदालत ने शरजील की याचिका पर सुनवाई के बाद पुलिस से विस्तृत जवाब मांगा है। यह मामला 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उसके कथित भड़काऊ भाषण से संबंधित है।

जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच ने शुक्रवार को पुलिस को नोटिस जारी करते हुए संबंधित मामले में सभी प्रासंगिक दस्तावेज अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख तय की गई है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने के लिए वक्त मांगा था। अदालत ने कहा कि यह दो हफ्ते के अंदर हो जाना चाहिए।

इमाम को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। उसने 24 जनवरी के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसके खिलाफ राजद्रोह के तहत आरोप तय किए गए थे।

निचली अदालत ने कहा था कि मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा- 124-ए (राजद्रोह), धारा-153ए (दो अलग समूहों में धर्म के आधार पर विद्वेष को बढ़ावा देना), धारा-153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ अभिकथन), धारा-505 (सार्वजनिक अशांति के लिए बयान), गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए) की धारा-13 (गैरकानूनी गतिविधि के लिए सजा) के तहत आरोप तय किए जाते हैं।

उसी दिन अदालत ने शरजील इमाम की इस मामले में जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और वह फिलहाल लंबित है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से ''अलग करने''की धमकी दी थी।

वहीं, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि उसने केंद्र सरकार के खिलाफ कथित भड़काने, घृणा पैदा करने, मानहानि करने और द्वेष पैदा करने वाले भाषण दिए और लोगों को भड़काया जिसकी वह से दिसंबर 2019 में हिंसा हुई।

दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा कि सीएए की आड़ में उसने (इमाम ने) एक विशेष समुदाय के लोगों से अहम शहरों को जोड़ने वाले राजमार्गों को बाधित करने और 'चक्का जाम' करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उसने सीएए के नाम पर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से काटने की धमकी दी।'

शरजील इमाम जनवरी 2020 से ही न्यायिक हिरासत में है। वह दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने के मामले में भी आरोपी है। अपने बचाव में इमाम ने अदालत में पहले कहा था कि वह आतंकवादी नहीं है और उसका मुकदमा सरकार द्वारा स्थापित कानून के बजाय एक राजशाही का चाबुक है।  

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