अमेरिकी ‘नसीहत’ के बावजूद क्या रूस से सस्ता तेल खरीदेगा भारत - मानवी मीडिया

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Friday, March 18, 2022

अमेरिकी ‘नसीहत’ के बावजूद क्या रूस से सस्ता तेल खरीदेगा भारत


नई दिल्ली (मानवी मीडियायूक्रेन पर हमला करने वाले रूस  पर प्रतिबंधों की बौछार हो रही है. अमेरिका सहित तमाम देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. साथ ही जो बाइडेन  प्रशासन ने भारत  के साथ-साथ कई देशों से अपील की है कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का समर्थन करें. इस बीच, ऐसी खबरें सामने आई हैं कि भारत रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल  खरीदने की योजना बना रहा है. अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन खबरों पर जवाब दिया है.

सभी संभावनाओं पर विचार 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची  ने कहा कि भारत बड़ा तेल आयातक होने की वजह से हमेशा सभी संभावनाओं पर विचार करता है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत रूस द्वारा सस्ते में कच्चा तेल देने की पेशकश पर विचार कर रहा है? बागची ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल आयात करता है, उसकी जरूरतें आयात से पूरी होती हैं. इसलिए हम वैश्विक बाजार में सभी संभावनाओं का दोहन करते रहते हैं’.

रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं

बागची ने कहा कि रूस, भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि हम प्रमुख तेल आयातक हैं और हम इस मौके पर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. बागची से जब पूछा गया कि यह खरीददारी रुपये-रूबल समझौते के आधार पर हो सकती है? तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस पेशकश की विस्तृत जानकारी नहीं है.

‘भारत इंतजार करेगा’

रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के भारत-रूस कारोबार पर पड़ने वाले असर से जुड़े अन्य सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि भारत इंतजार करेगा. उन्होंने कहा, ‘हम किसी भी एकतरफा प्रतिबंध से हमारे रूस के साथ आर्थिक लेनदेन पर पड़ने वाले असर के आंकलन का इंतजार करेंगे’. यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के संबंध में भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि भारत सभी पक्षों के संपर्क में है.

क्या कहा था अमेरिका ने?

बता दें कि अमेरिका ने भी कहा था कि भारत अगर रूस से सस्ते दाम में कच्चे तेल की खरीद करता है तो यह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. हालांकि, इसके साथ ही अमेरिका ने नसीहत दी थी कि रूस का समर्थन एक हमले का समर्थन है. ऐसे में यह आपको (भारत को) तय करना है कि आप इतिहास में किस पक्ष में दर्ज होना चाहेंगे.


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