लखनऊ (मानवी मीडिया) छह महीने की खामोशी के बाद बिजली महकमे की सीढ़ियां फिर से बकायेदारों के दरवाजे पर कनेक्शन काटने के लिए पहुंचने लगी हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा बकायेदारों से वसूली करने और कनेक्शन काटने का आंतरिक संदेश इंजीनियरों के मोबाइल पर दौड़ने लगा है। सुबह और शाम दो बार इस अभियान की समीक्षा की जा रही है। बकायेदारों से वसूली कर प्रबंधन कारपोरेशन के 95 हजार करोड़ के घाटे का ग्राफ कम करने की कोशिश में है।
शनिवार से प्रदेश में बड़े बकायेदारों के बिजली कनेक्शन काटने की शुरुआत हुई। अकेले लखनऊ में ही एक दिन में एक लाख से अधिक के बिजली बिल के बकायेदार करीब 800 उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए। प्रदेश की सभी विद्युत वितरण कंपनियों ने बड़े बकायेदारों की सूची तैयार कर अभियंताओं के हवाले कर दी है। सख्त निर्देश है कि ऐसे सभी उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटें।
मौखिक आदेश के आधार पर छह माह से नहीं काटे जा रहे थे कनेक्शन
पिछले करीब छह महीने से राज्य में चुनावी सरगर्मियां शुरू होने के साथ ही उच्च स्तर से मौखिक आदेश के बाद बकायेदारों के कनेक्शन काटने पर रोक लगा दी गई थी। सीधा निर्देश था कि वह बकायेदारों के घर के दरवाजे खटखटाएं और उन्हें बकाया बिल जमा करने के लिए प्रेरित करें। उस दौरान आयोजित हर समीक्षा बैठक में ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि कनेक्शन काटना समस्या का समाधान नहीं हैं।
ओटीएस से भी अपेक्षित सफलता नहीं मिली
- 20 अक्तूबर 2021 से 100 फीसदी ब्याजमाफी के साथ शुरू हुई थी ओटीएस योजना
- जब ओटीएस लाया गया 2.14 करोड़ उपभोक्ताओं पर 27800 करोड़ रुपये बकाया था।
- करीब चार महीने के अभियान में करीब 2500 करोड़ रुपये जमा हो सके।
- चुनावी सरगर्मी बढ़ने पर आधे पर आ गई थी राजस्व वसूली