पत्नी ने 100 रुपए नहीं दिये तो उठाया खौफनाक कदम - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday, March 12, 2022

पत्नी ने 100 रुपए नहीं दिये तो उठाया खौफनाक कदम


बेगूसराय  (मानवी मीडियाबेगूसराय जिले में एक युवक ने शराब पीने के बाद कीटनाशक दवा खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। डॉक्टरों की तत्परता से युवक की जान तो बच गई लेकिन राज्य के नंबर वन सदर अस्पताल होने का दावा करने वाले इस अस्पताल के आईसीयू की अव्यवस्था की पोल भी खुलकर सामने आ गई। युवक ने पत्नी से सौ रुपये मांगे लेकिन उसकी पत्नी से पैसे नहीं दिए और उसको डांट दिया। इसी से परेशान होकर युवक ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी।

जानकारी के अनुसार चेरियाबरियापुर थाना क्षेत्र के खजांपुर निवासी सर्वदेव पासवान के बेटे विकेश पासवान (35 वर्ष) एक सप्ताह पहले ही कोलकाता से अपने घर पहुंचा था। जुए में छह हजार रुपये हारने के बाद विकेश ने अपनी पत्नी से 100 रुपये मांगे लेकिन उसकी पत्नी ने पैसे देने से इनकार कर दिया और अपने बच्चों को लेकर घर से बाहर चली गई। विकेश को लगा कि यदि उसके ससुराल वालों को इसकी खबर लग गई तो वह उसे छोड़ेंगे नहीं। युवक ने देसी शराब पी और उसके बाद कीटनाशक दवा खा लिया। 

जब नशा चढ़ा तो लड़खड़ाते हुए लगभग 10 किमी की दूरी तय कर गढ़पुरा थाना के कनौसी गांव ससुराल पहुंच गया। ससुराल पहुंचते ही वह धड़ाम से नीचे गिर गया। उसके बाद ससुराल में हड़कंप मच गया। स्थिति को गंभीर देख ससुराल वालों ने आनन फानन उसे इलाज के लिए गढपुरा पीएचसी में भर्ती कराया जहां प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया।

शराब पीने के बाद कीटनाशक दवा खाने के बाद जिंदगी की आस छोड़ चुके विकेश पासवान की बेगूसराय सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने जान बचायी। शनिवार को उसे होश आने पर परिजनों ने खुशी का इजहार किया। डॉ. राजू कुमार व डॉ. नीतीश कुमार रंजन ने विकेश की जान बचाकर सरकारी अस्तपाल को निजी नर्सिंग होम की चिकित्सा सेवा से आगे लाकर खड़ा कर दिया। लेकिन शुक्रवार की देर रात चले इलाज के दौरान बिहार का एक नंबर सदर अस्तपाल होने का दावा करने वाले इस अस्पताल के आईसीयू की अव्यवस्था का पोल भी खुलकर सामने आ गया।

शुक्रवार की रात के आईसीयू के कमरा नंबर छह में विकेश अंतिम सांस ले रहा था। चिकित्सक व उनकी पूरी टीम उन्हें जान बचाने के लिए प्रयासरत थी। लेकिन आईसीयू की अव्यवस्था चिकित्सक व मरीज के बीच आड़े आ रहा था। एक नहीं बल्कि तीन-तीन वेंटिलेटर बदले गये। लेकिन कोई काम नहीं कर रहा था। अंदर में लगा बिजली बोर्ड शायद काम नहीं कर रहा था। इधर, मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। चिकित्सक परेशान थे। अंत में डॉ. राजू कुमार ने मरीज को गोद में लेकर कमरा नंबर छह से आठ में ले गया। तबतक उसके मुंह के द्वारा ब्लेडर के द्वारा पंप कर ऑक्सीजन देने का काम लगातार चलता रहा। वहां पर इलाज शुरू हुआ तो धीरे-धीरे सुधार होने लगा। चिकित्सक नीतीश कुमार रंजन ने बताया कि दो वेंटिलेटर खराब है। छह नंबर कमरा का बिजली बोर्ड खराब था। वेंटिलेटर टेक्निशियन भी नहीं है।

जहर का असर कम करने के लिए पाम इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज के परिजनों को बाहर से पांच फाइल मंगानी पड़ी। इसके लिए उन्हें 2075 रुपये खर्च करने पड़े। उसके बाद इपसोलिन इंजेक्शन, गैस का सिरप भी आईसीयू उपलब्ध नहीं होने पर बाहर से खरीदनी पड़ी। जबकि बेगसूराय सदर अस्पताल को सूबे में पहला अस्पताल होने का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में यदि कोई जहर खाया व्यक्ति सदर अस्तपाल पहुंचे तो उनकी जान कैसे बचायी जा सकती है यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जीवन रक्षक समेत कई दवा उपलब्ध नहीं है लेकिन सदर अस्तपाल की सफाई पर प्रति माह दो लाख रुपये खर्च किये जा रहे हैं।

Post Top Ad