बेंगलोर (मानवी मीडिया): कर्नाटक में हिजाब विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस मामले में हाईकोर्ट की सुनवाई अब कल फिर से होगी। वहीं सुनवाई से पहले अदालत ने मीडिया से अपील की है कि मीडिया को ऐसे संवेदनशील विषय पर और जिम्मेदार बनने की जरूरत है। जानकारी के अनुसार सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर दिया गया सरकारी आदेश दिमाग का गैर-उपयोग है।
उनका कहना है कि यह सरकारी आदेश अनुच्छेद 25 के तहत है और यह कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। हिजाब की अनुमति है या नहीं, यह तय करने के लिए कॉलेज कमेटी का प्रतिनिधिमंडल पूरी तरह से अवैध है। बहस के समय कामत ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में मुस्लिम छात्राओं को हेडस्कार्फ पहनने की अनुमति है। उन्होंने कहा जहां तक मुख्य धार्मिक प्रथाओं का संबंध है, वे अनुच्छेद 25(1) से आते हैं और यह पूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर मूल धार्मिक प्रथाएं सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं या ठेस पहुंचाती हैं तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस दौरान हाई कोर्ट ने कामत से पूछा कि क्या कुरान में जो कुछ कहा गया है, वह जरूरी धार्मिक प्रथा है? इस पर कामत ने कहा, मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। इसके कामत ने दलील दी कि हिजाब पहनना इस्लामी आस्था का एक अनिवार्य अभ्यास है। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई कल तक के लिए टाल दी।