(मानवी मीडिया) यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अलीगढ़ के ऋतिक वार्ष्णेय रात को खारकीव शहर में अपने किराए के फ्लैट में सोए हुए थे। गुरुवार तड़के अचानक तेज धमाकों की आवाज सुनाई दी तो जाग गए। इमारत की छत पर जाकर देखा तो फाइटर प्लेन बम गिरा रहे थे। इन धमाकों ने ऋतिक के फ्लैट में कंपन हुआ और खिड़कियां भी बजीं। यह नजारा देखकर उनकी रूह कांप गई। ऋतिक की तरह अलीगढ़ के 40 से अधिक छात्र-छात्राएं रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध से घबराए हुए हुए हैं। उन्हें एक ही चिंता है कैसे अपने वतन वापस लौटें। छात्रों से ज्यादा पेरशान उनके अभिभावक हैं। गुरुवार का उनका पूरा दिन टीवी के सामने ही बिताया। भारत सरकार से उनकी एक ही अपील है किसी भी तरह बच्चों को वतन लाया जाए। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंका कई दिन पहले ही जन्म ले चुकी थी। वहां के हालात को देखकर छात्रों ने भारत लौटने के लिए हवाई टिकट बुक करा लिए थे। अधिकांश छात्रों की टिकट 25 से 28 फरवरी के बीच बुक हुईं थीं। यानि हालात सामान्य होते थे शुक्रवार शाम तक छात्रों का भारत लौटना शुरू हो जाता। लेकिन रूसी हमले ने सब पर पानी फेर दिया। यूक्रेन का खारकीव शहर स्थित नेशनल मेडिकल कालेज से एमबीबीएस (चतुर्थ वर्ष) कर रहे जीटी रोड पर रायल रेजीडेंसी के सामने रहने वाले ऋतिक को 28 फरवरी को दिल्ली के लिए उड़ान भरनी थी। युद्ध के लिहाज से खारकीव शहर इस लिए भी संवदेशनशील है, क्योंकि रूस के बोर्डर से इसकी दूरी महज 35 किमी है। रूस ने इस शहर के आसपास के इलाके को ही ज्यादा निशाना बनाया है। यूक्रेन सरकार ने पहले यहां के नागरिकों को अपने घर में ही छुपने की सलाह दी थी। ऋत्विक ने दैनिक जागरण को बताया कि भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम सात बजे से हम लोगों को बंकर में बुला लिया है। तीन घंटे का हाईअलर्ट कर दिया है। बंकर यूक्रेन के अलावा कई और देशों के नागरिक छुपे हुए हैं। कहा, पिताजी से भारत-पाक के बीच 1971 में हुए युद्ध की कहानी सुनी थी। वो बताते थे कि युद्ध के समय रात को लाइट बंद कर दी जाती थीं। अब मैं खुद ये लाइव देख रहा हूं। यूक्रेन के हालात ऐसे ही हैं। यहां रात को अंधेरा रहता है। लाइट नहीं जल रहीं।
(मानवी मीडिया) यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अलीगढ़ के ऋतिक वार्ष्णेय रात को खारकीव शहर में अपने किराए के फ्लैट में सोए हुए थे। गुरुवार तड़के अचानक तेज धमाकों की आवाज सुनाई दी तो जाग गए। इमारत की छत पर जाकर देखा तो फाइटर प्लेन बम गिरा रहे थे। इन धमाकों ने ऋतिक के फ्लैट में कंपन हुआ और खिड़कियां भी बजीं। यह नजारा देखकर उनकी रूह कांप गई। ऋतिक की तरह अलीगढ़ के 40 से अधिक छात्र-छात्राएं रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध से घबराए हुए हुए हैं। उन्हें एक ही चिंता है कैसे अपने वतन वापस लौटें। छात्रों से ज्यादा पेरशान उनके अभिभावक हैं। गुरुवार का उनका पूरा दिन टीवी के सामने ही बिताया। भारत सरकार से उनकी एक ही अपील है किसी भी तरह बच्चों को वतन लाया जाए। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आशंका कई दिन पहले ही जन्म ले चुकी थी। वहां के हालात को देखकर छात्रों ने भारत लौटने के लिए हवाई टिकट बुक करा लिए थे। अधिकांश छात्रों की टिकट 25 से 28 फरवरी के बीच बुक हुईं थीं। यानि हालात सामान्य होते थे शुक्रवार शाम तक छात्रों का भारत लौटना शुरू हो जाता। लेकिन रूसी हमले ने सब पर पानी फेर दिया। यूक्रेन का खारकीव शहर स्थित नेशनल मेडिकल कालेज से एमबीबीएस (चतुर्थ वर्ष) कर रहे जीटी रोड पर रायल रेजीडेंसी के सामने रहने वाले ऋतिक को 28 फरवरी को दिल्ली के लिए उड़ान भरनी थी। युद्ध के लिहाज से खारकीव शहर इस लिए भी संवदेशनशील है, क्योंकि रूस के बोर्डर से इसकी दूरी महज 35 किमी है। रूस ने इस शहर के आसपास के इलाके को ही ज्यादा निशाना बनाया है। यूक्रेन सरकार ने पहले यहां के नागरिकों को अपने घर में ही छुपने की सलाह दी थी। ऋत्विक ने दैनिक जागरण को बताया कि भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम सात बजे से हम लोगों को बंकर में बुला लिया है। तीन घंटे का हाईअलर्ट कर दिया है। बंकर यूक्रेन के अलावा कई और देशों के नागरिक छुपे हुए हैं। कहा, पिताजी से भारत-पाक के बीच 1971 में हुए युद्ध की कहानी सुनी थी। वो बताते थे कि युद्ध के समय रात को लाइट बंद कर दी जाती थीं। अब मैं खुद ये लाइव देख रहा हूं। यूक्रेन के हालात ऐसे ही हैं। यहां रात को अंधेरा रहता है। लाइट नहीं जल रहीं।