विगत दो साल से कोरोना ने पूरी विश्व को हिलाकर रखा हुआ है। हमारा देश भी इस महामारी से अछूता नहीं रहा। कोरोना की दूसरी लहर ने देश में जो कोहराम मचाया, उसे याद करके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 130 करोड़ की आबादी वाले देश में सभी नागरिकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है। महामारी के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर नागरिकों की मदद में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन कोरोना की तीसरी लहर ने देशवासियों की चिंता को दोबारा बढ़ा दिया। लेकिन गनीमत है कि कोरोना वायरस की कथित तीसरी लहर का प्रभाव कम होनेे की खबरें प्रकाश में आ रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगभग 70 फीसदी तक घट गए हैं। बीते दो हफ्तों की बात की जाए तो संक्रमण लगातार कम हुआ है। सुखद: बात यह भी है कि देश के जिन राज्यों में महामारी का विस्तार अब भी जारी था, वह भी संक्रमण का स्तर लगातार कम हो रहा है। आईसीएमआर के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. समीरन पांडा का आकलन है कि फरवरी अंत तक कोरोना संक्रमण नगण्य हो जाएगा। देशभर में कुल संक्रमित मामलों की निर्णायक गिरावट भी मार्च तक अपेक्षित है। यह कुछ आंकड़ों से स्पष्ट हो सकता है। बीती 20 जनवरी को कोरोना के संक्रमित मामले 3,47,063 थे, जो 8 फरवरी को 67,597 तक लुढक़ गए हैं। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल सरीखे जिन राज्यों में संक्रमित मामले 50,000 रोजाना तक दर्ज किए जा रहे थे, वहां अब आंकड़े बेहद कम हैं। तमाम राज्यों ने कोरोना के घटते मामलों को देखते हुए बंदिशों को खत्म किया जा रहा है। जीवन सामान्य गति की ओर धीरे-धीरे ही सही लेकिन अग्रसर हो रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य एजेंसियों की स्थापना है कि कोरोना वायरस की मौजूदगी लगातार संक्रमित मामलों और सक्रिय मरीजों की संख्या के आधार पर आंकी जाती है। यदि लगातार 7 दिनों तक संख्या न बढ़े, तो महामारी का ‘चरम’ मान लिया जाता है। भारत में बीती 23 जनवरी को सक्रिय मरीज 22 लाख से अधिक थे। अब 13 लाख से भी कम हो गए हैं और फरवरी अंत तक उनमें भी निरंतर गिरावट के आसार हैं। इसी आधार पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के आकलन सामने आ रहे हैं कि तीसरी लहर का ‘चरम’ गुजर चुका है। अब संक्रमण अधोपतन की तरफ है। संक्रमण के जो आंकड़े बीते शनिवार, 5 फरवरी, को सामने आए थे, वे 5 जनवरी के बाद सबसे कम मामले हैं। जो संक्रमण -दर 30 फीसदी से ऊपर तक चली गई थी, अब वह 10 फीसदी से भी कम है। राजधानी दिल्ली में तो संक्रमण -दर मात्र 2.87 फीसदी दर्ज की गई है। साफ है कि संक्रमण बहुत नियंत्रण में आ गया है। महामारी के निरंतर पतन का ही परिणाम है कि कई राज्यों में स्कूल-कॉलेज खोल दिए गए हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के दफ्तरों में 100 फीसदी क्षमता के साथ काम शुरू कर दिए गए हैं। रेस्तरां, बार, होटल रात्रि 11 बजे तक खुल सकेंगे। यानी एक बार फिर आर्थिक गतिविधियां आजाद हुई हैं। देश में सबसे पहले ‘चरम’ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता सरीखे महानगरों में आया। फिर छोटे शहरों में मरीजों की संख्या कम हुई और अब ग्रामीण इलाकों में भी 80 फीसदी संक्रमण समाप्त हो चुका है। कोरोना टीकाकरण के संदर्भ में भी बड़ी सफलताएं हासिल हुई हैं।
यह टीके का ही प्रभाव रहा है कि इस बार मरीज कम आए और अस्पतालों में भगदड़ नहीं मची। कोरोना के मरीज ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं मरे। सडक़ों पर लावारिस दृश्य देखने को नहीं मिले। देश की करीब 96 फीसदी आबादी टीके की एक खुराक ले चुकी है और 77 फीसदी से अधिक आबादी को दोनों खुराकें दी जा चुकी हैं। हालांकि यह विशेषज्ञ चिकित्सक ही तय करेंगे कि भारत ‘हर्ड इम्युनिटी’ की स्थिति में कब होगा और उसके फायदे क्या होंगे? लेकिन 140 करोड़ की आबादी के देश में टीकाकरण की यह अद्भुत सफलता है। किशोर बच्चों में टीकाकरण और बुजुर्गों में बूस्टर डोज के अभियान लगातार प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। एक पहलू जरूर चिंताजनक रहा है कि मौतें लगातार दर्ज की जाती रही हैं। भारत विश्व में ऐसा तीसरा देश है, जहां 5 लाख से ज्यादा मौतें दर्ज की जा चुकी हैं। कोरोना महामारी की शुरू होने की तारीख तो हम जानते हैं लेकिन ये महामारी कब खत्म होगी ये कोई विशेषज्ञ नहीं बता सकता, इसके अलावा कोरोना वायरस के वैरिएंट्स भी आ रहे हैं, इसकी चैथी लहर भी आ सकती है। विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि इन सब से बढक़र कोरोना की जगह कोई दूसरी महामारी भी आ सकती है।