इस बारे में दुल्हन की मां सरिता मंडावी का कहना है कि आदिवासियों में चल रही पैठू प्रथा के चलते उनकी बेटी शिवबती मंडावी अगस्त माह में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अपनी पसंद के लड़के चंदन नेताम जो बांसकोट का रहने वाला है। उसके यहां घर पैठू के लिए गई हुई थी, जहां पर वो लगभग 6 माह रही और गर्भवती हो गई। फिर दोनों के परिजनों ने शादी करवाने का सोचा और तैयारियां शुरू हो गईं, लेकिन शादी की तैयारियों के चलते कुछ देरी हो गई और शादी का शुभ मुहूर्त भी निकल गया। शादी के लिए बकायदा ग्रामीणों को निमंत्रण दिया गया था। 30 जनवरी 2022 को हल्दी लेपन का कार्यक्रम चल रहा था। 31 जनवरी को आशीर्वाद समारोह और खाने खाने का प्रोग्राम था। लेकिन हल्दी की रश्म के दौरान दुल्हन को दर्द हुआ जिसके बाद उसने पुत्र को जन्म दिया।
जानकारी के लिए आपको बता दें आदिवासी समाज में ये एक अलग प्रथा है जिसमें न तो मुहूर्त देखा जाता है न कुंडली मिलाई जाती है। इस समाज में लड़के-लड़कियां एक दूसरे को पसंद कर शादी के लिए स्वतंत्र होते हैं। शादी योग्य लड़के-लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं तो लड़की, लड़के के घर में चली जाती है जिसे पैठू प्रथा के नाम से जाना जाता है।