🟢हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी महिलाएं आरक्षित श्रेणी की सदस्य होने का लाभ उठा सकती हैं यदि योजना निवास या अधिवास को अधिकार के रूप में अनुमति देती है।
⚫वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता (सुनीता रानी) हनुमानगढ़ के एसडीएम और तहसीलदार द्वारा उन्हें एससी समुदाय का सदस्य घोषित करने का मामला प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार करने से व्यथित थी।
🟤शुरुआत में, न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की खंडपीठ ने कहा कि महिला को राजस्थान में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है क्योंकि वह मूल रूप से पंजाब की थी, लेकिन अगर योजना में निवास या अधिवास को एक हकदारी के रूप में माना जाता है तो उसे अनुसूचित जाति सदस्य के रूप में अन्य लाभ मिल सकते हैं।
🟣कोर्ट ने राजस्थान राज्य बनाम श्रीमती मंजू यादव और संतोष बनाम राजस्थान राज्य पर भरोसा किया, जिसमें यह फैसला सुनाया गया था कि राजस्थान से बाहर की महिलाएं शादी के बाद राज्य में प्रवास करने पर, सार्वजनिक रूप से आरक्षण का लाभ पाने की हकदार नहीं होंगी।
🟠इसलिए कोर्ट ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को महिला को सिर्फ जाति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि इसका इस्तेमाल सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण का लाभ पाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
शीर्षक: सुनीता राय बनाम राजस्थान राज्य