नई दिल्ली (मानवी मीडिया): बॉलीवुड की लोकप्रिय गीतकार माया गोविंद की हालत इन दिनों काफी नाजुक है। फिल्म 'दलाल' के गाने 'गुटुर गुटुर' को लेकर अरसे तक कवि सम्मेलनों और मुशायरों में शुद्धतावादियों के निशाने पर रहीं माया गोविंद की उम्र इस समय 82 साल है और उनके बेटे अजय उनकी दिन रात सेवा कर रहे हैं। वहीं, उनके चाहने वाले उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
हालांकि, कई दिनों से चल रहे इलाज के बाद उनका बेटा उनको अस्पताल से घर ले आए है। अजय के मुताबिक, माया गोविंद के तमाम अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। लखनऊ में जन्म लेने वाली माया गोविंद को कथक में महारत हासिल रही है। बतौर अभिनेत्री भी उन्होंने परदे पर और रंगमंच पर अपना नाम बनाया और तमाम पुरस्कार भी जीते। प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी का डांस बैले ‘मीरा’ उन्हीं का लिखा हुआ है।
बतौर गीतकार अपना करियर 1972 में शुरू करने वाली माया गोविंद ने करीब 350 फिल्मों में गाने लिखे हैं। 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘सावन को आने दो’ में येशुदास और सुलक्षणा पंडित के गाए गाने ‘कजरे की बाती’ ने उन्हें खूब शोहरत दिलाई। निर्माता निर्देशक आत्मा राम ने उन्हें बतौर गीतकार पहला ब्रेक दिया अपनी फिल्म ‘आरोप’ में। इस फिल्म के ‘नैनों में दर्पण है’ और ‘जब से तुमने बंसी बजाई रे’ जैसे गीतों ने माया गोविंद को रातों रात मशहूर कर दिया। इसके बाद उन्होंने ‘बावरी’, ‘दलाल’, ‘गज गामिनी’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ और ‘हफ्ता वसूली’ जैसी तमाम बडी फिल्मों के गीत लिखे।