पॉलिसी मैच्योर होने के बाद नहीं मिली रकम
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिना दावे की इस रकम में निपट चुके वे दावे भी शामिल हैं, जिनका भुगतान नहीं किया गया है। बता दें कि यह रकम वह है, जो पॉलिसी केमैच्योर होने पर बकाया बन गईं। इसमें अतिरिक्त भुगतान राशि भी शामिल हैं, जिन्हें रिफंड किया जाना है। सबसे बड़ी देय राशि पॉलिसी के परिपक्व होने के कारण है, लेकिन जहां पैसा निवेशक तक नहीं पहुंचा है। यह धनराशि 19,285.6 करोड़ रुपये या बिना दावे की कुल राशि की करीब 90 फीसदी है। मार्च 2021 से छह महीनों में बिना दावे की कुल राशि 16.5 फीसदी बढ़ी है।
5 कंपनियों का मार्केट कैप भी दिखे बौने
यह धनराशि बड़ी-बड़ी कंपनियों के मार्केट कैप से भी अधिक है। एलआईसी के पास बिना दावे की इतनी रकम पड़ी है कि उसके सामने टाटा ग्रुप की कई कंपनियों की वैल्यू भी बौने नजर आएं। बीएसई पर लिस्टेड टाटा ग्रुप की पांच कंपनी- टाटा इन्वेस्मेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड का मार्केट कैप (7,163.79 करोड़ रुपये ) , टाटा कॉफी लिमिटेड का मार्केट कैप (3,726.07 करोड़ रुपये) , टाटा मेटालिक्स लिमिटेड का मार्केट कैप (2,461.31 करोड़ रुपये), टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड का मार्केट कैप (3,168.28,) और नेलको का मार्केट कैप (1,589.42 करोड़ रुपये) है। इन सबको मिला दिया जाये तब भी यह रकम एलआईसी के बेकार पड़े 20,000 करोड़ रुपये की रकम से काम ही है।
बड़ी संख्या में दावे लंबित पड़े हैं
पिछले छह महीनों के दौरान 4,346.5 करोड़ रुपये बिना दावे की राशि के रूप में ट्रांसफर किए गए हैं। इस अवधि में कुल 1,527.6 करोड़ रुपये दावों के रूप में भुगतान किए गए हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में दावे काफी समय से लंबित पड़े हैं। सितंबर 2021 के आंकडों के अनुसार, बकाया बिना दावे की राशि में से आधी तीन साल या अधिक समय से लंबित है। सेबी के पास जमा दस्तावेजों में कहा गया है, 'सरकार ने अधिसूचित किया है कि सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियां उन इकाइयों में शामिल होंगी, जिन्हें बिना दावे की धनराशि को वित्त अधिनियम 2015 और वित्त अधिनियम 2016 के अनुपालन में एससीडब्ल्यूएफ में हस्तांतरित करना होगा।'
एलआईसी के अलावा बैंकों के पास भी 24,356 करोड़ रुपये लावारिश पड़े हैं। वहीं, शेयर बाजार से पास 19,686 करोड़ रुपये लावारिस राशि है। बता दें कि एलआईसी के आईपीओ से सरकार पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। सरकार के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के एक बयान के अनुसार, इसकी 283 मिलियन से अधिक पॉलिसीज और एक मिलियन से अधिक एजेंट हैं।