इसके विपरीत भारतवर्ष में गणतंत्र की व्यवस्था किसी न किसी रूप में प्राचीन काल से ही उपस्थित रही है चाहे वह वैदिक काल की सभाएँ हों, लिच्छवि गणराज्य हो, या दक्षिण में चोल साम्राज्य में स्थानीय प्रशासन I इनका विस्तृत विवरण के पी जायसवाल ने १९५५ में प्रकाशित अपनी पुस्तक हिन्दू पॉलिटी में दिया है I सोलहवीं शताब्दी में इटली के राजनयिक मैकियावेली ने अपनी पुस्तक दी प्रिंस में सत्ता में बने रहने के लिए राजकुमारों द्वारा अनैतिक साधनों के प्रयोग को उचित बताया वहीं ईसा पूर्व तीसरी सदी की भारतीय पुस्तक अर्थशास्त्र प्रजा के सुख एवं कल्याण को राजधर्म कह राजा को अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को दबाकर प्रजा के कल्याण में अग्रसर होने का परामर्श देती है I
आज के समय में भी भारत में रह रहे हम सभी नागरिक अत्यधिक भाग्यशाली हैं कि हममें से अधिकांश ने गणतांत्रिक व्यवस्था की खुली हवा में प्रथम स्वांश लिया है I हमें वह अधिकार विरासत में मिल गया जिसके लिए हमारे पूर्वजों को स्वतंत्रता पूर्व औपनिवेशिक शक्तियों के विरूद्ध एक लम्बा संघर्ष करना पड़ा, जिसके लिए आज भी कई राष्ट्र संघर्ष कर रहे हैं और जिससे अफ़ग़ानिस्तान जैसे राष्ट्र रूढ़ीवादी विचारधारा वाले दलों द्वारा वंचित कर दिए गए हैं I जब आस पास की स्थितियों पर नज़र डालते हैं तो अपने देश की लोकतान्त्रिक परंपरा पर गर्व होता है, अपने संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता पर आभार होता है और हमें दिए गए इस वरदान की महत्ता का आभास होता है I भारत के लोकतंत्र की खास बात है किसी भी प्रकार के भेदभाव का न होना I हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म, हर लिंग के व्यक्ति को मतदान द्वारा अपने प्रतिनिधि चुनने का समान अधिकार प्रारम्भ से ही दिया गया है, न कि यूनाइटेड किंगडम और यूनाइटेड स्टेट्स जैसे अनेकों पाश्चात्य देशों कि भांति जहाँ महिलाओं तथा तत्कालीन दासों को यह अधिकार लेने के लिए पृथक रूप से संघर्ष करना पड़ा I
भारत जैसे विशाल राष्ट्र में जिस प्रकार सामान्यतया प्रत्येक पांच वर्ष में शांतिपूर्ण मतदान द्वारा सरकार का चयन किया जाता है वह स्वयं में एक आदर्श है, अन्यथा पडोसी देश पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और म्यांमार तथा कुछ अफ़्रीकी देश जहाँ ज्यादातर गृहयुद्ध की स्थिति रहती है, राजनैतिक अस्थिरता व् उससे होने वाले नुकसानों के जीवंत उदाहरण हैं I अतः लोकतंत्र रुपी वरदान को संजो कर रखना अब हमारा दायित्व है I यह तभी संभव है जब प्रत्येक मतदाता अपने मतदान के कर्त्तव्य का निर्वहन करे I चुनावों से पहले राजनैतिक दल अपने घोषणापत्र प्रकाशित करते हैं, साथ ही मतदाता प्रत्येक दल की विचारधारा एवं कार्यशैली से भी परिचित होते हैं I हर मतदाता का यह कर्त्तव्य है कि वह तुच्छ व्यक्तिगत फायदों अथवा जातिगत या धार्मिक समीकरणों से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में निर्णय ले I दीर्घकालिक विकास के लिए यही सर्वश्रेष्ठ नीति है I इतिहास साक्षी है कि जब जब हम आतंरिक रूप से विभाजित थे , तब तब वाह्य शक्तियाँ इसका लाभ उठाकर हम पर प्रभुत्व स्थापित करने में सफल रहीं I
भारत आज भी पश्चिम और उत्तर में उग्रवादी एवं विस्तारवादी शक्तियों से घिरा है I यदि हम पुनः स्वतंत्रता खोना नहीं चाहते हैं तो स्वयं से ऊपर उठकर राष्ट्र के विषय में सोचना होगा क्योकि राष्ट्र से ही हमारी पहचान और अस्तित्व है I जिस प्रकार हमारे सैन्य बल सीमाओं पर हथियारों से देश की रक्षा कर रहे हैं उसी प्रकार हमारे नागरिक मत रूपी शस्त्र के विवेकपूर्ण प्रयोग से देश के लोकतंत्र को सुदृढ़ करें I जो भी नकारात्मक पहलू चुनावी प्रक्रिया में घुल मिल गए हैं , उन सब का निवारण कानून बनाने एवं चुनाव आयोग की सतर्कता के साथ साथ मतदाता द्वारा दिया गया निर्णय भी है I अपने मत के द्वारा अपने विचार व्यक्त करें और देश की दिशा और दशा कैसी हो, इसका निर्धारण करने में अपना योगदान दें I
**स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी पूर्व वायुसेना अधिकारी, पर्वतारोही, प्रेरणादायी वक्ता, एवं चुनाव आयोग के मतदाता जागरूकता अभियान स्वीप की लखनऊ जिले की ब्रांड एम्बेसडर हैं I