कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2 मार्च 2013 को कुंडा में अखिलेश यादव जी के शासन में ज़ियाउल हक़ की हत्या में शामिल रघुराज प्रताप सिंह के क़रीबी गुलशन यादव समेत 5 अन्य के खिलाफ़ ख़ुद ज़ियाउल हक़ की पत्नी परवीन आज़ाद ने नामज़द एफआईआर दर्ज कराई थी। उस पूरे मामले में अखिलेश यादव की कोशिश हत्यारोपियों को बचाने की थी। इसी के तहत सीबीआई ने भी रघुराज प्रताप सिंह को क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन हत्या के एक आरोपी ने ज़ियाउल हक़ की पत्नी को जेल से भेजे पत्र में बताया था कि हत्या रघुराज प्रताप के कहने पर हुई थी। इसके बाद परवीन आज़ाद इलाहाबाद हाईकोर्ट गयीं जहाँ कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया था। अब सीबीआई दुबारा इस मामले की जाँच कर रही है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अखिलेश यादव जी को बताना चाहिए कि एक फकीर जैसी कमज़ोर पसमांदा बिरादरी से आने वाले युवा मुस्लिम डीएसपी के हत्यारे को टिकट दे कर वो क्या साबित करना चाहते हैं। क्या वो ये संदेश देना चाहते हैं कि मुसलमान सिर्फ़ ई रिक्शा चलाये और अधिकारी बनने का सपना भी ना देखे?
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि डीएसपी ज़ियाउल हक़ के हत्यारोपी गुलशन यादव को टिकट दे कर अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के उस बयान पर मुहर लगा दी है कि अखिलेश मुस्लिम विरोधी हैं जो नहीं चाहते थे कि जावीद अहमद को राज्य का डीजीपी बनाया जाए और जब मुलायम सिंह यादव ने उन्हें डीजीपी बनवा दिया तो अखिलेश यादव ने नाराज़गी में उनसे 15 दिनों तक बात नहीं की थी।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अखिलेश यादव भांप गए हैं कि मुसलमान अब कांग्रेस में घर वापसी करने जा रहे हैं। इसीलिए उन्हें डराने के लिए वो मुसलामानों के हत्यरोपियों और दंगाइयों को कुंडा से अमरोहा तक टिकट दे रहे हैं तो कभी जिन्ना और पाकिस्तान का नाम ले कर अपनी कुंठा प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डीएसपी ज़ियाउल हक़ के हत्यारोपी गुलशन यादव को हराने के लिए न सिर्फ़ पूरे सूबे से उलेमा हज़रात कुंडा पहुंचेंगे बल्कि प्रदेश भर के पसमांदा समाज के संगठन कांग्रेस के लिए समर्थन की अपील करेंगे।