कोर्ट ने कहा कि महिला ने अगर माता-पिता से उत्तराधिकार में संपत्ति प्राप्त की थी तो संपत्ति पिता के उत्तराधिकारियों को चली जाएगी और अगर उसने पति अथवा ससुर से उत्तराधिकार में संपत्ति प्राप्त की थी तो पति के उत्तराधिकारियों को संपत्ति चली जाएगी। हालांकि पति या बच्चे जीवित होने पर महिला की संपत्ति पति और बच्चों को दी जाएगी, इसमें वह संपत्ति भी शामिल होगी जो उसने माता-पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त की थी।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। पीठ ने 51 पेज के फैसले में हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 लागू होने से पहले और कस्टमरी लॉ में हिंदू महिला के संपत्ति पर हक तक पर चर्चा की है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू पुरुष की स्वअर्जित संपत्ति या विरासत में प्राप्त हिस्से की संपत्ति पर विधवा या बेटी के अधिकार को न सिर्फ पुराने हिंदू प्रथागत कानून में बल्कि विभिन्न फैसलों में मान्यता दी गई है।
कोर्ट ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 15(2) का मूल यही है कि संपत्ति उसी स्त्रोत को वापस लौट जाए। लेकिन अगर महिला के पति या बच्चे हैं तो संपत्ति पति और बच्चों को जाएगी।कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला 1967 का है इसलिए इस मामले में हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 के प्रविधान लागू होंगे और बेटी पिता की संपत्ति पर उत्तराधिकार की अधिकारी है इसलिए संपत्ति का पांचवां हिस्सा उसे जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट का फैसला रद कर दिया।