आरपीएन सिंह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अति पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर के बेटे को कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया, इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया ? वर्ष 2013 में जब वह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री थे, एक गरीब कांग्रेस कार्यकर्त्ता को तमकुही राज में पुलिस ने बुरी तरह मार-पीटा। जब मैंने इस घटना के विरोधस्वरूप आंदोलन शुरू किया, तो आरपीएन सिंह मुझ पर लगातार दबाव बनाते रहे कि आप लड़ाई मत लड़ो, संघर्ष मत करो, लेकिन मैंने लड़ाई लड़ी। 2015 में समाजवादी पार्टी की सरकार में गन्ना किसानों के मुद्दे पर आंदोलन को लेकर जेल गया। कांग्रेस पार्टी ने आरपीएन सिंह को बहुत कुछ दिया, मंत्री बनाया, सम्मान दिया, लेकिन बतौर पार्टी नेता, वह न तो वह मुझसे मिलने जेल में आए, न कोई आंदोलन किया और न ही कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी की।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जब मैं उत्तर प्रदेश में सदन में कांग्रेस विधानमंडल दल का नेता था तो खनन माफिया के खिलाफ धरना दिया था। 6 महीने तक आंदोलन किया। सरकार ने मुझे देवरिया जेल भेज दिया, तब भी माफियाओं के समर्थन में आरपीएन सिंह ने मुझ पर अनेक दबाव बनाए। लेकिन खनन के पट्टे की मैंने लड़ाई लड़ी और उसे निरस्त कराया। इस पूरे मुद्दे पर आरपीएन सिंह गायब थे। कभी भी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के सुख, दुःख में खड़े नहीं हुए। कभी भी कांग्रेस पार्टी के नेता बतौर जनता के मुद्दों पर लड़ाई नहीं लड़ी।उन्होंने कहा कि आरपीएन सिंह कहते हैं कि मैंने 32 साल तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की। मैं पूछता हूं, आरपीएन सिंह का कांग्रेस पार्टी के प्रति क्या योगदान रहा? उनकी पहचान कांग्रेस पार्टी ने बनाई, कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पद दिया, मान-सम्मान दिया फिर कहां उपेक्षा हुई? कांग्रेस पार्टी ने जब प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका दिया और आरपीएन सिंह ने मना कर दिया, तो कांग्रेस पार्टी ने उन्हें झारखंड का प्रभारी बनाया। आज आरपीएन सिंह को सैंथवार और पिछड़े वर्ग की याद आ रही है, लेकिन सच यही है कि वह अपने को क्षत्रिय के रूप में पेश करते रहे हैं। जिसे अपनी जाति से शर्म आए, वह पिछड़ों का नेता नहीं हो सकता है। उनको चिढ़ इस बात से है कि कांग्रेस पार्टी ने एक गरीब, मजदूर, सामान्य परिवार के बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। उनको चिढ़ इस बात से है कि एक मद्धेशिया, कांदू परिवार, जो नमक बेचते हैं, चाय-पकौड़ी-समोसा बेचते हैं, जो भूजा-मूंगफली बेचते हैं, उस परिवार, समुदाय का बेटा अध्यक्ष बन गया।
अजय कुमार लल्लू ने कहा ऐसे लोगों को मंच चाहिए, कुर्सी चाहिए, पद चाहिए सम्मान चाहिए, लेकिन जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं या जनता से जुड़े मुद्दों पर जमीनी लड़ाई लड़नी होती है, तो यह लोग कहीं नजर नहीं आए। पूरे देश ने देखा है, इतिहास, प्रदेश, जनपद आरपीएन सिंह का कभी नहीं माफ़ करेगा कि अति पिछड़ी जाति से उनको इतनी नफरत है। राजा-महाराजा लोगों को इतनी चिढ़ है कि आप पार्टी छोड़ दिए। अब नई कांग्रेस है, इसमें संघर्ष करने, लाठी खाने, जेल जाने, सरकार के दमन का मुकाबला करने और राहुल गांध के सिद्धांत ‘‘लड़ो, डरो मत’’ का पालन करने वालों की भागीदारी है।
उन्होंने कहा आरपीएन सिंह जैसे लोग सीबीआई, ईडी के डर से अपनी जमीन, संपत्ति, स्कूल बचाने के डर से भाग सकते हैं, लेकिन कांग्रेस में संघर्ष करने वाले नहीं भाग सकते। कांग्रेस का कार्यकर्ता कल भी लड़ा था, आज भी लड़ रहा है और आगे भी मजबूती से लड़ेगा। अब कांग्रेस में संघर्ष करने वालों का स्थान है, ऐशो-आराम करने वालों का नहीं। कांग्रेस में सिर्फ संघर्ष करने वालों की जगह है।
उन्होंने कहा आरपीएन सिंह प्रचारित कर रहे हैं कि अजय कुमार लल्लू भाजपा में जाने वाले हैं, मैं बताना चाहता हूँ कि मेरे खून के एक-एक कतरे में कांग्रेस पार्टी का अहसान है, राहुल गांधी जी का अहसान है, और जब तक जियूंगा, शरीर में जान रहेगी, कांग्रेस का, राहुल गांधी जी का सिपाही बनकर रहूंगा। इस पार्टी ने मुझे पहचान दी है, सम्मान दिया है, लड़ना सिखाया है।