सम्मेलन के मुख्य अतिथि, सुमेरु पीठाधीश्वर, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रनंद सरस्वती ने कहा कि जेहाद मानवता और दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है। इसे कुचलने के लिए चीन की नीति अपनानी होगी और चीन की तरह प्रतिबंध लगाकर इसे रोका जा सकता है। उन्होंने मांग की कि हिंदू मठों और मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण को समाप्त करने की आवश्यकता है। जगद्गुरु ने कहा कि शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के जीवन को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
धर्मांतरण को देशद्रोह की श्रेणी में रखकर मृत्युदंड का प्रावधान किया जाए। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा , हरिद्वार की धर्म संसद में जब धर्मगुरुओं ने अपनी सुरक्षा के लिए कुछ शब्द बोले तो उन्हें जेल में डाल दिया गया। उन्होंने महामंडलेश्वर नरसिम्हनंद यति और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) की रिहाई के लिए मेले में मौजूद संतों और भक्तों से सरकार को पत्र लिखने की अपील की। जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा देश के पहले प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे, उनके नेतृत्व को स्वीकार किया गया था । ऐसे में उन्हें देश का पहला प्रधानमंत्री घोषित किया जाना चाहिए। इतिहासकारों ने देशवासियों के सामने गलत तथ्य पेश किए हैं, जिससे आज की पीढ़ी भ्रमित है।