नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-उच्चतम न्यायालय ने करीब 6000 स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) को विदेशी चंदा के लिए 'विदेशी विनियमन (संशोधन)- विधेयक-2020Ó की अनिवार्य शर्तों में छूट के साथ इन संस्थाओं के लाइसेंस का नवीनीकरण की अवधि कोविड-19 के राष्ट्रीय आपदा अधिसूचित रहने तक बढ़ाने के वास्ते केंद्र सरकार को कोई अंतरिम आदेश देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित स्वयंसेवी संस्थाओं से कहा कि वे लाइसेंस नवीनीकरण के संबंध में केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखें तथा केंद्र सरकार के कानून के तहत लाइसेंस के नवीनीकरण के मामले में कोई फैसला लें। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में कोई अंतरिम आदेश नहीं देना चाहती। इस मसले पर सुनवाई पूरी होने के बाद वह कोई फैसला सुनाएगी।
स्वयंसेवी संस्था ग्लोबल पीस इनीशिएटिव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं के 'फेरा' के नए प्रावधानों के अनुसार लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होने के कारण कोविड 19 के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को मदद करने में परेशानी हो रही है। लिहाजा, अदालत केंद्र सरकार आदेश दे कि वह इस वैश्विक महामारी को 'राष्ट्रीय आपदा' अधिसूचित रहने तक की अवधि तक उन एनजीओ के लाइसेंस के नवीकरण की अवधि तब तक के लिए बढ़ा दे।
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने श्री हेगड़े की दलीलों का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि 1100 संस्थाओं ने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, जिनकी अर्जी मंजूर कर ली गई। उन्होंने आवेदन नहीं करने वाले संस्थाओं के इरादे पर संदेश जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें पता नहीं कि इस याचिका का क्या इरादा है। गौरतलब है कि 'फेरा' के नए कानून बनने के बाद करीब 6000 एनजीओ के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हो पाया है। इनमें से बहुतों ने तो आवेदन ही नहीं किये थे जबकि कइयों के आवेदन नियमों के मुताबिक नहीं होने के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कारण रद्द कर दिए गए थे।