अखिलेश यादव ने उक्त उद्गार आज समाजवादी पार्टी मुख्यालय, लखनऊ के डॉ0 लोहिया सभागार में डॉ0 बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के 66वें परिनिर्वाण दिवस पर व्यक्त किए। उन्होंने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे विधि विशेषज्ञ के साथ अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री भी थे। दुनिया भर में बाबा साहेब का सम्मान है। उन्होंने अस्पृश्यता को अमानवीय करार देते हुए वंचित दलित समाज का स्वाभिमान जगाने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी तथा शिक्षित बनाने पर बल दिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की नीतियां जनविरोधी हैं। भाजपा की इन नीतियों के कारण बेरोजगारी बढ़ी है। समाज में नफरत बढ़ी और महंगाई तथा भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। भाजपा की भाषा खराब है और उसका आचरण षडयंत्रकारी है। आर.एस.एस. की विचारधारा से भारत खतरे में है। भाजपा-आरएसएस दोनों आरक्षण समाप्त करने और मौलिक अधिकारों पर हमला करते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा राज में सार्वजनिक सम्पत्तियाँ बेची जा रही हैं। चंद पूंजीपतियों के हाथों में राष्ट्रीय सम्पत्तियाँ गिरवी रखी जा रही है। भाजपा अन्याय की प्रतीक है। किसानों के हितों के काम के बजाय खेती-किसानी को पूंजीघरानों की बंधक बनाने की साजिषें हो रही हैं। अपनी आवाज उठाने पर किसान पर जीप-चढ़ा दी जाती है। किसान के उपयोग में आने वाली खाद-बीज, कीट नाशक, डीजल और बिजली के दाम बढ़े हुए हैं।
यादव ने कहा कि किसान भी वैज्ञानिक है। वह मौसम की जानकारी रखता है और जानता है कब फसल को खाद-पानी चाहिए। भाजपा को यह सब पता नहीं इसलिए वह किसान की ओर ध्यान नहीं देता है।
इस अवसर पर रामजी सुमन एवं मिठाई लाल भारती सहित कई वक्ताओं ने कहा कि डॉ0 भीमराव अम्बेडकर और डॉ0 राम मनोहर लोहिया के विचारों में काफी समानता है। समाजवादी विचार से ही समानता और सम्पन्नता आएगी। समाजवादी सन् 2022 में भाजपा को हटाने को संकल्पित है। बाबा साहेब के मिशन को अखिलेश यादव ही पूरा करेंगे।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, पूर्व मंत्रीगण आर.के. चौधरी, शंख लाल मांझी, जयशंकर पाण्डेय, राम आसरे विश्वकर्मा, पूर्व सांसद डॉ0 अशोक पटेल, डॉ0 बी. पाण्डेय, संजय गर्ग विधायक, अरविन्द कुमार सिंह, बासुदेव यादव, एस.पी. यादव, आशु मलिक, व्यासजी गोंड, सर्वेश अम्बेडकर, रामबृक्ष सिंह यादव, डॉ0 राजवर्धन जाटव, जयवीर सिंह पासी की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।