विशिष्ट अतिथि शाइस्ता अम्बर अध्यक्ष, मुस्लिम लॉ बोर्ड ने कहा कि समय आ गया है जब महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर सड़क पर आना ही होगा।तीन तलाक पर मिली कामयाबी महिलाओं के संघर्ष की एक अनूठी दास्तान है।
विशिष्ट अतिथि सुषमा सिंह उपाध्यक्ष, राज्य महिला आयोग ने भी इस कुरीति पर अपने विचार प्रस्तुत किये और गहन प्रतिक्रिया व्यक्त की।पुस्तक के लेखक सपन सक्सेना ने बताया कि उन्होंने इस विषय पर काफ़ी गम्भीरता से विचार किया और उन्हें यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा मिली। गहन अध्ययन के उपरांत, आदिशक्ति को अर्पित करते हुये, उन्होंने यह पुस्तक लिखी जिसमें पौराणिक ग्रंथों में निहित संकेतों के माध्यम से रहस्य खुलते हैं। कहानी यह संदेश देती है कि समाज में बेटियों का महत्वपूर्ण स्थान है और सभी को बेटियों के प्रति निष्ठा और गर्व के साथ उनका पालन पोषण करना चाहिये।
मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और अन्य सभी उपस्थित विद्वान और गणमान्य जनों ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सपन सक्सेना जैसे युवा लोग भी सामाजिक समस्याओं पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर रहे हैं और समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं।
इस अवसर पर भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा कि एक ओर हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है कि ' यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता' वहीं आज भी न केवल पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में अपितु महानगरों में भी भ्रूण परीक्षण और कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं में वृद्धि ही हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे विकास का क्या अर्थ है जिसमें गर्भ में दम तोड़ती अजन्मी कन्याओं की सिसकती आहें सुनाई देती हों।रीना त्रिपाठी ने बताया कि वीरांगना झलकारी बाई का जन्मदिवस कल 22 नवम्बर को था और लखनऊ में जच्चा बच्चा अस्पताल का नाम झलकारी बाई के नाम पर ही है अतः इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण अत्यन्त आवश्यक है। उनकी याद में मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों को स्मृतिचिन्ह भेंट किये गए। रीना त्रिपाठी ने बताया क़ि भारतीय नागरिक परिषद एक ग़ैर-राजनीतिक संस्था है और समाज के विभिन्न प्रासंगिक विषयों पर विचार विमर्श करते हुये सर्वांगीण विकास के लिये प्रयासरत है।भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री ने मुख्य अतिथि ,विशिष्ट अतिथि और सभी गण्यमान्य लोगों को इस संगोष्ठी हेतु साधुवाद देते हुए संगोष्ठी का समापन व्याख्यान दिया।
संगोष्ठी में मुख्यतया एच एन पाण्डेय, राजीव सिंह, वाई एन उपाध्याय, ए पी सिंह, उत्तम सक्सेना,डॉ मिथलेश सिंह, निशा सिंह, प्रेमा जोशी, सुमन दुबे, रेनु त्रिपाठी, अजय द्विवेदी, अजय कटियार,शिव प्रकाश दीक्षित, अनुपम सिंह,जितेन्द्र उपस्थित थे।